पश्चिम एशिया में अमेरिका की भूमिका

Afeias
26 Feb 2024
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हाल ही में अमेरिका ने इराक में 85 से अधिक ठिकानों पर हमले किए हैं। ये हमले जॉर्डन के एक आतंकी समूह द्वारा तीन अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने के विरोध में किए गए हैं। लेकिन क्या यह पश्चिम एशिया में चल रही अशांति के समाधान में कुछ सहयोग कर सकता है? कुछ बिंदु –

  • अमेरिका के हमले वास्तव में अशांति के लक्षणों से जुड़े हुए हैं, समाधान से नहीं। इजरायल-हमास युद्ध की शुरूआत के बाद से ही ईरान समर्थित मिलिशिया (जो तेहरान के प्रतिरोध की धुरी माना जाता है) ने क्षेत्र में हमले तेज कर दिए हैं। उनका एकमात्र एजेंडा गाजा पर इजरायल के हमले रोकना है।
  • ये मिलिशिया पश्चिम एशिया में जगह-जगह फैले हुए हैं। अमेरिका न तो उन्हें एक बार में बाहर निकाल सकता है? और न ही लाल सागर में हौथी पर हमले करके इन्हें पूरी तरह से रोक सकता है। ऐसे में अमेरिका को यहाँ लंबे समय तक उलझना पड़ सकता है। चुनावी वर्ष में यह अमेरिका की राजनीतिक-गलती भी हो सकती है।
  • अभी तक अमेरिका और ईरान सीधे हमलों से बचते रहे हैं। लेकिन क्षेत्र में अमेरिकी सेना बढ़ रही है। साथ ही ईरान रिवोल्यूशनरी गार्डस कमांडर डटे हुए हैं। इन्हें सीधे हमलों के लिए कभी भी मजबूर किया जा सकता है।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजरायल को काफी छूट दे रखी है। इजरायल के हमलों से गाजा के बहुत से नागरिक मारे जा रहे हैं। अमेरिका ने वेस्टबैंक (इजरायल का विवादित क्षेत्र) में निवासियों को भी हिंसा करने की छूट दे दी है।

वर्तमान में पश्चिम एशिया में चलने वाली अमेरिकी नीति को उचित नहीं कहा जा सकता है। उसे इजरायल पर लगाम लगाकर युद्ध विराम का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि यह संघर्ष व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष का रूप ले सकता है। इससे पूरे विश्व में अशांति का खतरा बढ़ सकता है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 01 फरवरी, 2024