आतंकवाद को खत्म करने के लिए भारत ने पश्चिम एशिया कूटनीति बदली

Afeias
29 Nov 2023
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हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की महासभा में एक प्रस्ताव लाया गया था। इस प्रस्ताव में इजरायल रक्षा बलों और गाजा में हमास के बीच तत्काल टिकाऊ संघर्ष विराम का आहवान किया गया था। ज्ञातव्य हो कि 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमले की शुरूआत की थी। कई आतंकवादी संगठनों की तरह हमास भी आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहता है। इस दृष्टि से भारत ने महासभा के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान से अपने को दूर रखाए परंतु हमास की निंदा की मांग करने वाले संशोधन प्रस्ताव का समर्थन करने में वह पीछे नहीं हटा है।

इस संबंध में भारत के दूरगामी दृष्टिकोण पर कुछ बिंदु –

  • भारत सरकार यह इंगित करने में सही थी कि जिस प्रस्ताव में 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमले की निंदा नहीं की गई वह वास्तव में आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है।
  • भारत ने फिर से शांति के एकमात्र टिकाऊ रास्ते के रूप में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच दो राज्य समाधान
    के लिए अपना समर्थन दोहराया है।
  • आतंकवाद के खिलाफ दुनिया की साझा लड़ाई तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक आतंकवाद से प्रभावित देश आतंकवादियों की आने वाली पीढ़ी को रोकने के लिए प्रतिक्रिया नहीं करते हैं।

यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि आतंकवादी समूहों के अक्सर अंतरराष्ट्रीय संबंध होते हैं और हर कीमत पर हर तरफ से उनका विरोध होना जरूरी है। चीन के नेतृत्व वाली भूराजनीतिक धुरी ऐसा नहीं सोचती है। इसका मुकाबला करने के लिए भारत को रणनीतिक स्वायत्तता से समझौता किए बिना अपने हितों की रक्षा करनी होगी। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने यही संदेश दिया है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 30 अक्टूबर, 2023

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