पश्चिम की ओर भारत के बढ़ते कदम

Afeias
16 Jun 2021
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Date:16-06-21

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मार्च में क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन के बाद अप्रैल माह में भारत ने दो और बड़े कदम उठाए हैं। ब्रेक्जिट के बाद के ब्रिटेन से अपने संबंधों की दिशा को स्पष्टता देने के अलावा, भारत ने यूरोपिय यूनियन से अपने संबंधों को गति दी है। 2019 में आरसीईपी से दूरी बनाने के बाद द्विपक्षीय व्यापार सौदों पर आगे बढ़ने और निवेश को आकर्षिक करने के लिए भारत की यह नीति भविष्योन्मुखी कही जा सकती है।

महामारी के दौर में, आत्मनिर्भर भारत और आपूर्ति श्रृंखला का लचीलापन एक प्रमुख एजेंडा बन गया था। ऐसे समय में अमेरिका के साथ एक छोटा-मोटा समझौता भी महत्व रखता है।

इसके अलावा, अभी तक भारत ने यूरोपीय संघ के फ्रांस, जर्मनी तथा ब्रिटेन आदि देशों के साथ स्वतंत्र संबंध बनाने को प्राथमिकता दी थी। ब्रेक्जिट के बाद स्थितियां बदल गई हैं, और भारत को यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए प्रयास की जरूरत पड़ेगी। वस्तु, सेवा, कृषि, सरकारी खरीद तथा व्यापार में सुगमता हेतु कार्य आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ समझौतों के लिए भारत को अपनी तैयारी करके आगे बढ़ना है।

यूरोपियन यूनियन में फ्रांस के साथ भारत के संबंध अच्छे रहे हैं। रक्षा, परमाणु एवं अन्य बहुपक्षीय क्षेत्रों में यह भारत के लिए रूस का विकल्प सिद्ध हो रहा है।

इधर, पश्चिम के प्रति भारत के अपने हित हैं, तो दूसरी ओर यूरोप और अमेरिका जैसे पश्चिमी देश चीन की गतिविधियों से त्रस्त, एशिया में भारत को अपना विकल्प बनाने को तैयार हो सकते हैं, बशर्ते कि भारत वैसा वातावरण तैयार करे।

भारत पहले से ही एक मजबूत लोकतंत्र और एक बाजार अर्थव्यवस्था है। यह प्रौद्योगिकी विकास, 21वीं सदी की प्रतिभाओं के एक पश्चिमी उन्मुख समूह तथा जलवायु संरक्षण का लाभ उठा सकता है। नवीनीकृत ऊर्जा में 450 गीगाबाईट के लक्ष्य को लेकर चलने वाला भारत अकेले ही जलवायु परिवर्तन के वैश्विक लक्ष्यों की पूर्ति करता दिख रहा है। क्वाड का सदस्य होने के नाते और भूराजनीतिक स्थिति में हिंद-प्रशांत के केंद्र में स्थित भारत, पश्चिम के लिए रणनीतिक अवसर भी है।

भारत को अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच द्धिपक्षीय व्यापार और निवेश समझौतों की दिशा में कदम पीछे नहीं हटाने चाहिए। 2019-20 में यूरोपियन यूनियन ने अमेरिका और चीन से अधिक व्यापार भारत के साथ किया है, जो एक सकारात्मक संकेत देता है। उम्मीद की जा सकती है कि भारत के प्रयास सफल सिद्ध होंगे।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित इंद्राणी बागची के लेख पर आधारित। 17 मई, 2021

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