पड़ोसी एवं मित्र देश : मालदीव
Date:09-10-20 To Download Click Here.
भारत के लिए उसके पड़ोसी देशों का बहुत महत्व है। पड़ोसी देशों से अपने संबंधों को मित्रतापूर्ण रखने के उद्देश्य से अनेक कदम भी उठाए जाते हैं। हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका और मालदीव के बीच हुए एक रक्षा समझौते से भारत की प्रतिक्रियाओं में परिवर्तन दिखाई देने लगा है।
इससे जुड़ी घटनाएं –
- 2013 में मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता मोहम्मद नशीद को निकाले जाने के बाद , मालदीव ने हिंद महासागर में अमेरिका के साथ स्टेटस ऑफ फोर्सेस एग्रीमेंट के प्रस्ताव पर बातचीत की थी , जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया था। योजना स्थगित भी कर दी गई थी।
- 2014-18 तक मालदीव की सरकार चीन के प्रभाव में चलती रही है।
- 2018 के बाद से वहाँ भारत अनुकूल सरकार के आने से राहत महसूस की जा रही है। इससे बाद से भारत ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की गति तेज कर दी है।
- 2018 में ही मालदीव पहुँचने वाले विदेशी यात्रियों में भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा थी।
- हाल ही में कोरोना संकट के चलते आर्थिक मंदी से जूझ रही मालदीव सरकार को भारत ने 25 करोड़ डॉलर की सहायता देने की प्रतिबद्धता दिखाई है। इसके अतिरिक्त भारत वहाँ एक वृहद् बुनियादी ढाँचा परियोजना में मदद कर रहा है।
- मालदीव ही एकमात्र ऐसा पहला देश है , जिसके साथ भारत ने एयर बबल संचालन शुरू किया है।
- हाल ही में दोनों देशों के बीच कार्गो फेरी से की शुरूआत की गई है।
इस सेवा का लाभ दोनों देशों को मिल सके , इसके लिए भारत को यह ध्यान रखना होगा कि वह केवल अपना सामान एकतरफा भेजकर , मालदीव पर बोझ न बढ़ाए। ऐसी विषमता का होना स्वाभाविक सा है। परंतु इस माध्यम से एक पड़ोसी को दोस्त बनाने का अवसर छोड़ देना भारत के हित में नहीं होगा।
वैसे भी भारत और मालदीव सजातीय , भाषाई , सांस्कृतिक , धार्मिक और व्यापारिक संबंध रखते हैं। हिंद महासागर में चीन के विस्तार को देखते हुए , अंतराष्ट्रीय भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत के लिए मालदीव का महत्व और भी बढ़ गया है। भारत की ‘पड़ोसी पहले’ की नीति में मालदीव की महत्वपूर्ण भूमिका है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 24 सितंबर , 2020