पड़ोसी देशों से संबंधों को सजीव करता भारत

Afeias
14 Dec 2020
A+ A-

Date:14-12-20

To Download Click Here.

भारत के तीन शीर्ष सरकारी अधिकारियों एक ही समय पर पडोसी देशों की यात्राएं की। विदेश मंत्री एस.जयशंकर की बहरीन और यूएई के बाद सेशेल्स यात्रा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की श्रीलंका यात्रा और विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला की नेपाल यात्रा कोई संयोग नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि भारत को अपने आसपास के देशों से संपर्क-सूत्र को तरोताजा करने की जरूरत है। एल ए सी पर भारत-चीन के तनाव को देखते हुए इन देशों तक उच्चस्तरीय बैठक करने की जरूरत और भी ज्यादा बढ़ गई है।

दरअसल, लद्दाख में चीन और भारत के बीच बढ़ते तनाव का सीधा प्रभाव हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर पड़ने लगा है। अभी तक भारत को इस पूरे क्षेत्र से अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुराने राजनैतिक संबंधों का भरोसा था। इसलिए वह अपने आसपड़ोस में होने वाले राजनैतिक और आर्थिक परिवर्तनों को लेकर निश्चिन्त था। बदलते परिदृश्य के साथ पिछले एक दशक में भारत के प्रभाव पर भी असर पड़ा है। इसका पता तब चला है, जब भारत सरकार द्वारा लिए गए कुछ निर्णयों का प्रभाव उल्टा पडने लगा है।

  1. नए नागरिकता कानून के प्रति बांग्लादेश की नाराजगी।
  1. नेपाल द्वारा भारत के नक्शे से छेडछाड़ करने की घटना।
  1. मालदीव का अमेरिका के साथ एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करना।

यद्यपि चीन को लेकर अमेरिका ने श्रीलंका को समझाया है कि किस प्रकार वह देशों को अपने ऋण जाल में फंसा रहा है, तथापि भारत को अपना प्रभाव स्थापित करने के लिए अपने ढंग से काम करना पड़ेगा।

विदेश मंत्री के सेशेल्स दौरे का उद्देश्य यह आश्वासन देना था कि भारत उसके बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में पूरी रूचि ले रहा है। नेपाल के साथ उलझे हुए द्विपक्षीय संबंधों को सुलझाना चाहते हैं। सुरक्षा सलाहकार भारत, श्रीलंका और मालदीव के बीच त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा को आगे बढ़ाते हुए स्पष्ट करना चाहते थे कि भारत इन देशों का निकटतम पड़ोसी होने के साथ-साथ सहयोगी भी है।

यूँ तो भारत के सभी दक्षिण-पूर्वी एशियाई और पूर्वी एशियाई देशों से सभी प्रकार के संबंधों का इतिहास रहा है, परंतु इस पूरे क्षेत्र में आसीईपी और वन बेल्ट वन रोड जैसी परियोजनाओं से चीन का प्रभाव बढ़ रहा है। अतः भारत के लिए आवश्यक हो गया है कि वह समय-समय पर इन देशों के साथ सभी क्षेत्रों में अपने संबंधों की समीक्षा करते हुए तदनुरूप कदम उठाये। इनकी उपेक्षा महंगी पड़ सकती है।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 28 नवम्बर, 2020

Subscribe Our Newsletter