ऑनलाइन गेमिंग पर लगाम
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हाल ही में सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी लगाने का निर्णय लिया है। ऑनलाइन गेमिंग के पूरे ढांचे को नियंत्रित किया जाना जरूरी रहा है। इसके चलते सरकार ने अप्रैल में सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में संशोधन करके गेमिंग की सुविधा देने वाले सर्विस प्रोवाइडरों को मध्यवर्ती संस्थान (इंटरमिडिएटर) बना दिया था। उनके लिए कई तरह के प्रावधान तय किए गए थे। इसे जीएसटी के दायरे में लाना सरकार का दूसरा कदम है। गेमिंग प्रोवाइडर अभी तक बहुत धन कमा रहे थे, और देश को कुछ नहीं मिल रहा था।
क्या लाभ होंगे –
- इससे गेमिंग के इकोसिस्टम का प्रबंधन उपभोक्ताओं के हित में रहेगा।
- यह क्षेत्र कहीं अधिक जवाबदेह बन सकेगा।
- अभी तक गेमिंग की आड़ में गैंबलिंग होती आ रही थी। लेकिन गेमिंग की सेवा दे रही सभी कंपनियों को आईटी नियमों के दायरे में आना ही होगा। इससे खेल के नाम पर जुआ खिलाने वालों पर नियंत्रण रखा जा सकेगा।
नुकसान क्या हो सकते हैं? –
- गेमिंग का कारोबार बहुत विस्तृत है। 2027 तक इसके 25,000 करोड़ रुपये लाभ की संभावना व्यक्त की जा रही थी। इससे 2ण्6 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की भी उम्मीद थी। लेकिन जीएसटी लगने के बाद इसमें कमी आ सकती है।
- सरकार का यह फैसला ऑनलाइन गेमिंग की तरफ से लोगों को निरूत्साहित कर सकता है।
- टैक्स से बचने वाले ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की सक्रियता बढ़ सकती है, जो उपभोक्ताओं को गैर-कानूनी ऑनलाइन गेम खेलने की ओर प्रोत्साहित करेंगे। इससे उपभोक्ताओं की निजता तथा उनके डेटा की सुरक्षा दांव पर लग सकती है।
दुनिया भर के देश गेमिंग को नियमन के दायरे में लाना चाहते हैं। हालांकि वहाँ भी दो तरह के मत हैं। एक वर्ग इसे और विस्तार का मौका देना चाहता है। जबकि दूसरा वर्ग इसे शुरू से ही कानून के अधीन लाना चाहता है। यही कारण है कि अभी तक इस पर कोई अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं बन सका है। यहां तक कि साइबर अपराध से निपटने के लिए हुई अंतरराष्ट्रीय संधि ‘बुडापेस्ट कन्वेंशन’ भी इस पर मौन है। उम्मीद की जा सकती है कि भारत सरकार का यह प्रयास सफल सिद्ध होगा।
समाचार पत्रों पर आधारित। 14 जुलाई, 2023