केयर्न एनर्जी मामला

Afeias
29 Jul 2021
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Date:29-07-21

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केयर्न एनर्जी और भारत सरकार के बीच कर विवाद गहराता जा रहा है। रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्याधिकरण ने केयर्न के पक्ष में फैसला सुनाया था, और भारत सरकार को केयर्न को 1.7 अरब डॉलर का भुगतान करने को कहा था।

अब केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार से अपनी रकम वसूलने के लिए फ्रांस में स्थित उसकी कुछ सम्पत्तियों का अधिग्रहण करने का प्रयास शुरू कर दिया है। यह इस वर्ष मई के मध्य में अमेरिका में एयर इंडिया की सम्पत्तियों को कुर्क करने के लिए कंपनी द्वारा उठाए गए कदम का ही अनुसरण है।

भारत का कहना है कि वह ‘जब भी ऐसा नोटिस प्राप्त करेगा, उचित कानूनी उपाय करेगा।’ सरकार को चल रही अनिश्चितता का अंत करते हुए तुरंत केयर्न के साथ समझौता करना चाहिए। समझौते को लंबे समय तक जारी रखने से देश के स्वामित्व वाली कंपनियों के बाजार-मूल्य में गिरावट आ सकती है। इससे एयर इंडिया को बेचने के कदम में कमजोरी आ सकती है। सम्पत्तियों की कुर्की से प्रतिष्ठा पर आंच आ सकती है।

सरकार ने इस मामले की अपील, हेग कोर्ट में भी की है। साथ ही यह भी मामले को देश के कानूनी ढांचे के भीतर, सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए खुला रखा है। केयर्न भी सौहार्दपूर्ण समझौते की पुरजोर वकालत करता है। भारत की ओर से मांगी गई कर की मनमानी रकम को कोर्ट से बाहर ही जल्द ही वापस लिया जाना चाहिए, और देश को निवेश की बाधाओं से मुक्त करना चाहिए।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 9 जुलाई, 2021

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