
सोशल मीडिया के नियमों को औपचारिक रूप देने का मामला
To Download Click Here.
- सोशल मीडिया द्वारा होस्ट की जाने वाली सामग्री पर तीसरे पक्ष के दायित्व से सुरक्षा ने इनको बहुत बढ़ावा दिया है। लेकिन अब यह वैश्विक जांच के दायरे में है।
- महत्वपूर्ण यह है कि सोशल मीडिया को चलाने वाली कंपनियों को इन पर की जाने वाली पोस्ट के लिए जवाबदेह ठहराया जाना जितना ठीक है। यह देखा जाना भी जरूरी है कि तत्कालीन सरकारें अपने विरूद्ध प्रसारित की जाने वाली सामग्री पर नियंत्रण बनाने के लिए सोशल मीडिया के सेफ हार्बर को खत्म करने का प्रयास न करने लगें।
- अतः सामग्री के आपत्तिजनक होने या न होने का निर्णय व्यावहारिक सामान्य दृष्टिकोण पर आधारित रखा जाना चाहिए।
- सरकार ने जो मसौदा तैयार किया है, वह भारत को नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के गारंटर के रूप में वर्णित करता है। संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत इसका रक्षक उच्चतम न्यायालय ही है।
कुल मिलाकर दोनों पक्षों में संतुलन बनाकर नियमों को औपचारिक रूप दिया जाना चाहिए, जिसमें सोशल मीडिया भी स्वछंद न हो, और संवैधानिक अधिकारों का भी हनन न हो। यह निर्णय उच्चतम न्यायालय को ही सोच समझकर करना होगा।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 22 जुलाई, 2022
Related Articles
×