निकोबार द्वीप की विवादास्पद बुनियादी ढांचा परियोजना

Afeias
22 Jul 2024
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  • केंद्र सरकार का केंद्रीय जनजातीय मामलों का मंत्रालय, ग्रेट निकोबार द्वीप पर 72,000 करोड़ की बुनियादी ढांचा परियोजना से जुड़े वन स्वीकृति मामलों पर विचार कर रहा है।
  • परियोजना क्षेत्र में 130 वर्ग कि.मी. से अधिक प्राचीन वन शामिल होने की उम्मीद है। इसे एक विशेषज्ञ समिति ने चरण-1 की पर्यावरणीय मंजूरी दे दी है।
  • सरकार ने 2023 में संसद को बताया था कि इस परियोजना में 9.6 लाख पेड़ों के काटे जाने की आशंका है। इसकी भरपाई हरियाणा में वनरोपण योजना से की जाएगी।
  • सरकार की इस योजना से निकोबार द्वीप समूह की दुर्लभ जैव विविधता को खतरा हो सकता है।
  • सरकार का अपने पक्ष में तर्क यह है कि इस योजना से निकोबार का रणनीतिक लाभ उठाया जा सकता है, क्योंकि यह मलक्का जलडमरूमध्य से मात्र 90 कि.मी. दूर है। यह क्षेत्र हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर के बीच एक महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग है।
  • परियोजना का यह काम सरकार के सामने एक कठिन और विवादास्पद चुनौती खड़ी करता है, जिसमें बुनियादी ढांचे के विकास, प्राचीन जैव विविधता को संरक्षित करना और स्थानीय निवासियों और आदिवासियों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील होने की त्रिविध समस्या है।
  • आलोचकों का कहना है कि इस परियोजना से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को भी आंका जाना चाहिए।

इस मामले पर पर्यावरण मंत्रालय, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग तथा राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल जैसे सभी निकायों को पारदर्शिता और सहमति के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 25 जून, 2024