द्वीप समूह की जरूरतों से बहुत दूर है प्रस्तावित सुधार

Afeias
23 Jun 2021
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Date:23-06-21

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हाल ही में लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के द्वारा लाए गए नए कानूनों से अरब सागर में बसे इस 56 द्वीपों के समूह में अशांति बनी हुई है। मीडिया में लगातार उठ रहे इस मामले के जवाब में प्रशासक ने द्वीप का विकास मालदीव की तर्ज पर करने की मंशा जताई है।

नए प्रावधान क्या हैं ?

  • लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 इस मसौदे में प्रशासक को विकास के उद्देश्य से किसी भी संपत्ति को जब्त करने और उसके मालिकों को स्थानांतरित करने या हटाने की अनुमति होगी।
  • प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल एक्टीविटीज एक्ट – इसके तहत किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से गिरफ्तारी का खुलासा किए बिना सरकार द्वारा उसे एक साल तक हिरासत में रखने की अनुमति होगी।
  • लक्षद्वीप पंचायत चुनाव विनियमन 2021- इसके अंतर्गत दो बच्चों से ज्यादा वालों को पंचायत चुनाव की उम्मीदवारी के अयोग्य ठहराया जा सकता है।
  • लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन – इस मसौदे के अंतर्गत स्कूलों में मांसाहारी भोजन परोसने पर प्रतिबंध और गोमांस की बिक्री, खरीद या खपत पर रोक का प्रस्ताव है।
  • शराब पर प्रतिबंध हटाना – द्वीप में शराब के सेवन पर रोक हटाई गई है। अभी इस द्वीपसमूह में केवल बंगरम द्वीप में ही शराब की बिक्री होती है।

विवाद के मुद्दे ?

विकास प्राधिकरण विनियमन से लोगों को डर है कि आने वाले समय में उनकी जमीनें छीनी जा सकती हैं। उन्हें यह भी लगता है कि नए कानूनों के विरोध में खड़े होने वाले लोगों को चुप कराने के लिए असामाजिक गतिविधि विनियमन विधेयक को लाया जा रहा है। यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि सरकार ने निर्वाचित जिला पंचायतों की स्थानीय प्रशासनिक शक्तियों का नियंत्रण भी अपने हाथ में ले लिया है। गोमांस पर प्रतिबंध का विरोध भी किया जा रहा है, क्योंकि द्वीपसमूह की लगभग 96% आबादी मुस्लिम है, और इनका मुख्य भोजन गोमांस है। आरोप है कि प्रशासक इन कानूनों के जरिए लक्षद्वीप की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं, और वहां आरएसएस का एजेंडा लागू करना चाहते हैं।

वास्तविक समस्याओं पर कोई चर्चा क्यों नहीं ?

सरकार ने जिस मालदीव मॉडल पर लक्षद्वीप के विकास का प्रस्ताव किया है, वह व्यावहारिक नहीं है। नीति आयोग ने जिन वॉटर बंगलों का प्रस्ताव दिया है, वे बेहद महंगे और कोरल के लिए घातक होंगे। लक्षद्वीप के उपद्रवी मानसून में इन बंगलों के नष्ट होने की भी आशंका बनी रहेगी।

इस मॉडल को लागू करने के बजाय द्वीपसमूह का विकास, जन-आधारित हो, जो समुद्री पारिस्थितिकी की बेहतरी कर सके।

लक्षद्वीप के मत्स्य क्षेत्र में तेजी आई है, लेकिन अविवेकी तौर पर किए जाने से इसने आय की असमानताओं और यहां के श्वेत कोरल के नाश के खतरे को बढ़ा दिया है। सरकार को द्वीप के विकास के लिए कुछ करना ही है, तो वह रोजगार के अवसर उत्पन्न करे, मत्स्य उद्योग को पर्यावरण के अनुकूल विकसित करें, स्वच्छता, कचरा निष्पादन, पीने योग्य स्वच्छ जल की उपलब्धता, युवाओं के लिए आधुनिक शिक्षा तथा परंपरागत व्यवसायो के अलावा वैतनिक रोजगार के लिए अवसर प्रदान करे।

प्रस्तावित नियमों की जड़ता –

पूर्ण साक्षरता, सौर ऊर्जा की प्रचुरता तथा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सुविधा आदि अनेक आधुनिक विकास के मापदण्डों से संपन्न लक्षद्वीप के विकास के लिए एक समग्र विकास नीति यह कहकर लाई जा रही है कि पिछले सत्तर वर्षों में यहां कोई विकास नहीं हुआ है।

विडंबना यह है कि वहां गोवध पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है, जहां गाएं ही नहीं हैं। असामाजिक गतिविधि सुरक्षा अधिनियम वहां लागू करने का प्रस्ताव है, जहां कोई अपराध ही नही हैं। सड़कों के चौड़ीकरण की योजना का वहां क्या तात्पर्य है, जहां सड़कों की अधिकतम लंबाई 11 कि. मी. है। पंचायत चुनावों में दो बच्चों वाला कानून वहां लाया जा रहा है, जहां 2.2 के राष्ट्रीय प्रजनन औसत की तुलना में यह 1.4 ही है।

सरकार ने विकास के नाम पर द्वीप में खनन और खनिज पदार्थों के शोषण के द्वार खोल दिए हैं, जिससे द्वीप का अस्तित्व सीमेंट निर्माण केंद्र के रूप में परिवर्तित होने की आशंका है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित वजाहत हबीबुल्लाह के लेख पर आधारित। 31 मई, 2021

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