उष्ण द्वीप में परिवर्तित होते नगर

Afeias
26 Feb 2020
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Date:26-02-20

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पृथ्वी के बढ़ते तापमान से जुड़े खतरों से हम अनभिज्ञ नहीं हैं। खतरों की इसी कड़ी में अर्वन हीट आइलैण्ड्स या शहरी उष्ण द्वीप की खोज सामने आती है। हमने अभी तक शहरी झीलों के बारे में तो सुना और देखा है, परंतु शहरों को उष्ण द्वीप पहली बार बनते देख रहे हैं।

क्या है शहरी उष्ण द्वीप ?

ऐसा नगर, जिसकी जनसंख्या का घनत्व अधिक हो, और वह अपने आस-पास के ग्रामीण या उपनगरीय क्षेत्रों से 2 डिग्री अधिक गर्म हो, उसे “शहरी उष्ण द्वीप“ कहा जाता है।

बढ़ती उष्णता का कारण रोड, फुटपाथ और छतों पर इस्तेमाल होने वाला कांक्रीट, डामर और ईंट जैसे पदार्थ हैं। ये पदार्थ अपारदर्शी होने के कारण कारणों  को अवशोषित कर लेते हैं, और उष्मीय चालक बन जाते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में खुली जगह, भूमि, पेड़ों और घास की अधिकता होने के कारण वाष्प-उत्सर्जन अधिक होता है। इससे वातावरण की वायु नम रहती है।

शहरी उष्ण द्वीप का प्रभाव

  • इससे नगरों में वायु की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • नगरों का बढ़ा हुआ तापमान, उष्ण वातावरण पसंद करने वाले जीवों की बढ़ोत्तरी में सहायक होता है। छिपकली और चींटी जैसे जीव शहरों में ज्यादा पाए जाने लगे हैं।
  • शहरों में उष्ण वायु या लू से मानवों और पशुओं के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे अकडन, नींद की कमी आदि समस्याएं जन्म लेती है। मृत्यु दर बढ़ जाती है।
  • शहरों की गर्मी से प्रभावित गर्म जल को आसपास के किसी जल-निकाय में छोड़ा जाता है। इससे जल की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है।

किसी समय अपनी जलवायु के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध बंगलुरु  भी आज उष्ण द्वीप बन चुका है। कोरोमंडल और जयनगर जैसे स्वच्छ हवा और स्वस्थ जलवायु वाले नगरों पर भी बढ़ते तापमान का साया है।

नियंत्रण के उपाय

  1. औद्योगीकरण और आर्थिक विकास जरूरी हैं। परंतु शहरी उष्ण द्वीपों को नियंत्रित रखना भी इतना ही जरूरी है। इसके लिए निर्माण कार्यों में थोड़ा परिवर्तन करना होगा। हल्के रंग की कांक्रीट चूने का पत्थर और डामर की सहायता से हल्की गुलाबी या सलेटी सड़कें बनाई जा सकती हैं। काले रंग से ये 50% अधिक ठीक हैं। ये गर्मी को कम अवशोषित करती हैं और सूर्य की किरणों को अधिक परावर्तित करती हैं। अमेरिका में कुछ स्थानों पर यह प्रयोग किया गया है। छतों को हरा बनाया जाए, और उस पर सोलर पैनल लगाए जाएं।
  1. अधिक-से-अधिक पेड़ लगाए जाएं। इससे 22 प्रकार के लाभ हो सकते है। प्रदूषण-कणों को अवशोषित करने के साथ ही ये शहरों को ठंडा रखने में मदद कर सकते हैं।

बढ़ते जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण को देखते हुए शहरों को आग के गोले में परिवर्तित होने से बचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। तेज गति से आर्थिक विकास के लिए शहरीकरण को एक अनिवार्य शर्त माना गया है। लेकिन हमें चाहिए कि इसे सुरक्षित और रहने योग्य बनाए रखें। तभी हम सफल हो सकेंगे।

‘द हिंदू‘ में प्रकाशित डी बालसुब्रमण्यम् के लेख पर आधारित। 16 फरवरी, 2020

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