मूनलाइटिंग पर पक्ष-विपक्ष

Afeias
19 Oct 2022
A+ A-

To Download Click Here.

हाल ही में कॉरपोरेट जगत में ‘मूनलाइटिंग’ के मामलों पर काफी चर्चा हो रही है। यह मामला खबरों में तब जोर पकड़ने लगा, जब विप्रो कंपनी ने अपने 300 कर्मचारियों को एक साथ बर्खास्त कर दिया।

मूनलाइटिंग क्या है?

जब किसी संस्था या कॉरपोरेट का एक कर्मचारी एक ही समय में अपने एक प्रतिद्वंदी के साथ काम करने लगता है, तो उसे मूनलाइटिंग कहते हैं। ऐसे कर्मचारी सामान्यतः तो दिन में एक कंपनी के साथ जुड़े रहते हैं, वहीं रात को अन्य किसी कंपनी के साथ काम करते हैं।

विरोध क्यों है?

  • कर्मचारी रात को किसी अन्य कॉरपोरेट के लिए काम करते हुए मुख्य कंपनी को अपनी 100% क्षमता नहीं दे पाता है।
  • इसे बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन भी माना जाता है। प्रतिद्वंदी कंपनी के साथ काम करते हुए कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं बांटी जा सकती हैं, जो कि अनैतिक है।

अलग-अलग दृष्टिकोण –

  • इन मामलों में बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन के प्रति एक जीरो-टॉलरेन्स दृष्टिकोण को उचित बताया जा रहा है।
  • कर्मजारियों को अपने अतिरिक्त काम की पूरी जानकारी मुख्य कंपनी या फुल-टाइम कंपनी को देने की दलील दी जा रही है।
  • यह भी कहा जा रहा है कि कंपनियों को इस प्रकार के मामलों को उदारतापूर्वक देखना चाहिए, क्योंकि यह कंपनी और कर्मचारी दोनों के हित में है।
  • ‘एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट’ जर्नल में प्रकाशित 2021 के एक अध्ययन में कहा गया है कि ‘साइड- हसल’ से फुल-टाइम प्रदर्शन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दिन का प्रदर्शन कतई खराब नहीं होता है।
  • मूनलाइटिंग से एक पेशेवर ऐसी जगह अपस्किलिंग, प्रशिक्षण और शिक्षण में योगदान दे सकता है, जहाँ मांगों को पूरा करने के लिए सही मैनपॉवर का अभाव है। इस प्रकार की मूनलाइटिंग से कर्मचारियों, कंपनियों, उद्योगों और समाज का भला हो सकता है।

कुल मिलाकर मूनलाइटिंग को अनुबंधों के तहत लाने पर चर्चा की जानी चाहिए। इसकी व्यापक परिभाषा और सामान्य नियम बनाये जाने चाहिए। इस बारे में मध्य-मार्ग को अपनाने से अलग-अलग दृष्टिकोण के समर्थकों को कार्यबल के बड़े हितों में एक ऐसा मध्यवर्ती आधार मिल सकता है, जो आज की बदलती दुनिया में एक और नौकरी लेने के लिए प्रेरित महसूस करते हैं।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 24 सितम्बर, 2022