बढ़ती मुद्रास्फीति

Afeias
18 Oct 2022
A+ A-

To Download Click Here.

हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने खुदरा मुद्रास्फीति का डेटा प्रस्तुत किया है। यह गंभीर है, क्योंकि मूल्य लाभ में तेजी नीति निर्माताओं के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।

कुछ आंकड़े –

  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति जुलाई के 6.7% की जगह अगस्त में 7% हो गयी। यह शहरी मुद्रास्फीति की स्थिति थी।
  • ग्रामीण उपभोक्ताओं ने अधिक बोझ उठाया है। खाद्य कीमतों और समग्र मुद्रास्फीति दोनों में महीने-दर-महीने परिवर्तन के साथ, शहरी मुद्रास्फीति की 0.50% और 0.46% दरों की तुलना में ग्रामीण मुद्रास्फीति क्रमशः 0.88% और 0.57% रही।
  • विशेष चिंता की बात यह है कि अनाज की कीमतों में मुद्रास्फीति पिछले महीने की 6.9% की दर से बढ़कर 9.57% हो गई।
  • इस वर्ष चावल की खरीफ बुवाई के साथ पिछले साल के रकबे में कमी और बारिश के असमान वितरण ने पैदावार की स्थिति को और खराब कर दिया है।

वित्त मंत्रालय ने खाद्य और ईंधन की कीमतों को ‘क्षणिक घटक’ कहकर खाद्य कीमतों के दबाव को कम करने की कोशिश की है। कीमतों को कम करने के लिए सरकार के प्रयत्नों के बाद भी दालों और उत्पादों की कीमतों में महीने-दर-महीने 1.7% की तेजी आई है। आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन और व्यक्तिगत देखभाल सहित सेवा श्रेणियों में भी कीमतों में क्रमिक वृद्धि देखी गई है। हालांकि, इन सेवाओं की मांग में भी धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी हुई है। अब प्रदाताओं को सावधानी रखते हुए एकदम से कीमतों में तेजी नहीं लानी चाहिए, वरना खपत या मांग कम होने का खतरा हो सकता है। मूल्य-दबावों का सबसे ज्यादा प्रभाव गरीबों पर पड़ता है। अतः सरकार को इसे जल्द ही नियंत्रण में लाने का प्रयत्न करना चाहिए।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 15 सितंबर, 2022

Subscribe Our Newsletter