महिला कर्मचारियों के साथ भेदभाव रोकने संबंधी कदम
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- हाल ही में उच्च्तम न्यायालय ने कहा है कि महिला कर्मचारियों को विवाह करने पर दंडित करने वाले नियम असंवैधानिक हैं। यह लैंगिक भेदभाव और असमानता का गंभीर मामला है।
- ऐसे पितृसत्तात्मक नियम से मानवीय गरिमाए गैर-भेदभाव और निष्पक्षता के अधिकार का हनन होता है। सेलिना जॉन के मामले में दिया गया शीर्ष न्यायालय का यह निर्णय नारी सशक्तीकरण की दिशा में बहुत महत्व रखता है।
- भले ही यह मामला सेना में महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने के जुड़ा हो, लेकिन सिविल में भी महिलाओं को आए दिन ऐसे भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
- अक्टूबर 2023 – दिसंबर 2023 का आवधिक कार्यबल डेटा बताता है कि सभी उम्र की महिलाओं की कार्यबल भागीदारी मात्र 19.9% है।
- अगर इसे बढ़ाना है, तो शिक्षा में रुकावट, रोजगार के अवसर और समाज की रूढ़िवादी सोच पर काम करना होगा।
संयुक्त राष्ट्र के जेंडर स्नैपशॉट 2023 में साफ दिखाई देता है कि अगर लैंगिक भेदभाव को दूर करने के सक्रिय उपाय नहीं किए गए, तो महिलाओं की अगली पीढ़ी भी घर के कामों में खप कर रह जाएगी। जब तक सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव नहीं लाया जाता, तब तक महिलाओं और कन्याओं के लिए लाई गई योजनाओं का भी बहुत ही कम प्रभाव सामने आएगा।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 22 फरवरी, 2024