महामारी से जुड़े टास्क फोर्स का गठन

Afeias
01 Jun 2021
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Date:01-06-21

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कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौर में उत्पन्न हुए ऑक्सीजन आपूर्ति के संकट के उपाय के रूप में उच्चतम न्यायालय ने 12 सदस्यीय एक कार्यबल या नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है। इस कार्यबल में नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों, गृह मंत्रालय, उद्योग और आंतरिक व्यापार विभाग, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् एवं स्वास्थ सेवा महानिदेशालय की भागीदारी होगी। इसका काम राज्यों को मेडिकल ऑक्सीजन के आवंटन के लिए केंद्र सरकार को दिशा निर्देश देना होगा। इस कार्यबल की कुछ खास बातें –

  • कार्यबल के गठन से उम्मीद की जा रही है कि नीतिनिर्माताओं और निर्णय लेने वालों को ऐसे इनपुट में मदद मिलेगी, जो उन्हें अभूतपूर्व चुनौती के लिए तदर्थ समाधानों से परे जाने में सक्षम बना सकते हैं।
  • कार्यबल के 12 संदर्भ बिंदु में, पहले पांच बिंदु ऑक्सीजन आपूर्ति को केंद्र में लेकर चलते हैं। इसमें राज्यों को ऑक्सीजन के आवंटन के लिए उचित पद्धति पर निर्णय लेने और ऑक्सीजन आपूर्ति, वितरण और उपयोग से जुड़े ऑडिट की सुविधा दी गई है।
  • टास्क फोर्स, आवश्यक दवाओं और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपायों की समीक्षा करेगा और सुझाव भी देगा।
  • कार्यबल के बाकी के छः बिन्दु, महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया के उद्देश्य से जुड़े हैं, जिसमें वर्तमान और भविष्य की आपात स्थितियों के लिए तैयारी सुनिश्चित करने की योजना बनाना और उपचारात्मक उपायों को अपनाना शामिल है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित इस कार्यबल की कार्यावधि भले ही छः माह रखी गई हो, परंतु महामारी के दूसरे प्रबल और घातक दौर में अनेक विशेषज्ञों की सक्रिय भूमिका की मांग को देखते हुए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति में आई कमी का कारण स्वास्थ विभाग की योजना, खरीद और आपूर्ति की नीति में कमी रही है, जिसे यह कार्यबल पूरा कर सकेगा। इस मामले में तमिलनाडु का उदाहरण लिया जाना चाहिए, जिसने 1994 में ही मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन का गठन करके आपूर्ति प्रबंधन को दुरूस्त बना रखा है।

कार्यबल के समक्ष खड़ी चुनौतियां –

  • इसे कम समय में बड़ी समस्याओं पर काम करना है।
  • यद्यपि टास्क फोर्स के सदस्य पर्याप्त योग्यता और विशेषज्ञता रखते हैं, परंतु मेडिकल खरीद और आपूर्तिय फार्मा, निःशुल्क दवाओं और डायग्लोस्टिक्स ; सार्वजनिक स्वास्थ्य और आपातकाल स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उन्हें अन्य विभागों के साथ तालमेल बिठाकर काम करना होगा।
  • 12 संदर्भ बिंदुओं को उन्हें महामारी के व्यापक परिदृश्य में देखना होगा।
  • टास्क फोर्स के 12 सदस्यों में से 10 स्वतंत्र सदस्य, क्लीनिक विशेषज्ञ, क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ और वीरोलॉजी विशेषज्ञ हैं। यद्यपि वे अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं, परंतु महामारी से निपटने के लिए व्यापक स्तर की विशेषज्ञता चाहिए।

नेशनल टास्क फोर्स के कंधों पर देश के भविष्य की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। यह उनकी क्षमता और कार्ययोजना पर निर्भर करेगा कि वे देश को उपचारात्मक चिकित्सा पर निर्भर करते हैं, या सुरक्षात्मक उपायों को कड़ाई से लागू करने के साथ एक स्वस्थ भारत को भविष्य की महामारियों की चुनौती के लिए तैयार करते हैं।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित चंद्रकांत लहरिया के लेख पर आधारित। 11 मई, 2020

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