महामारी से बचाव कैसे हो ?
Date:20-05-21 To Download Click Here.
महामारी के इस भयावह दौर में अमेरिका ने कोविड-19 वैक्सीन की पेटेंट सुरक्षा पर से अस्थायी रूप से प्रतिबंध हटा दिया है। इस संकट की घड़ी में यह कदम वैश्विक सहयोग का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। भारत में आई इस घातक लहर ने पेटेंट वेवेर, कंपलसरी लाइसेंसिग और तकनीक हस्तातंरण की मांग को बढ़ा दिया है। इसके माध्यम से बहुत से विकासशील देशों का भला हो सकता है, क्योंकि पश्चिम ने निकट भविष्य में उत्पादित होने वाली अधिकांश खुराक को बुक कर लिया है।
वैक्सीन निर्माण के क्षेत्र में भारत, विश्व का भरोसेमंद केंद्र रहा है। फिलहाल, वह अपनी जनता के लिए पर्याप्त खुराक का प्रबंध नहीं कर पा रहा है। इस कारण लोगों को अपनी टीकाकरण की योजनाएं स्थगित करनी पड़़ रही हैं।
टीका आपूर्ति में सुधार के लिए काम करते समय, अन्य कमियों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
- परीक्षण तक पहुँच मुश्किल बनी हुई है।
- ऑक्सीजन की कमी और आपूर्ति श्रृंखला का प्रबंधन सुधारने की जरूरत है।
- कोविड की तीसरी लहर के बारे में सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने तत्काल रणनीतिक प्रतिक्रियाओं का आह्वान किया है। इस पर अमल होना चाहिए।
- परिसंचरण में वायरस के वेरियेंट की पहचान करने और महामारी विज्ञान में उनकी विशेषताओं को समझने के लिए एक व्यापक कोशिश होनी चाहिए।
- युवाओं में रोग की गंभीरता, पुनर्संरचना, निष्क्रिय लोगों द्वारा फैलाया जाने वाला संक्रमण, लॉकडाउन द्वारा संक्रमण का संकुचन आदि पहलुओं पर अधिक वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है।
- कोविड की सामान्य चिकित्सा के साथ प्लाज्मा थेरेपी, रेमेडिसविर, सीटी स्कैन, स्टेरायड या अन्य दवाओं द्वारा दिए जाने वाले उपचार के प्रोटोकॉल में बहुत अंतर है, जो जन सामान्य की पीड़ा और द्वंद को बढ़ाते हैं। इन्हें दूर किए जाने की जरूरत है।
- भारत में अगर विश्व व्यापार संगठन के माध्यम से वैक्सीन उत्पादन की छूट आती है, तो विदेशी वैक्सीनों के लिए लाइसेंस का विस्तार करना सरल हो जाएगा। दूसरे, जेनोवा की स्वदेशी एम आर एन ए- आधारित वैक्सीन पेटेंट उल्लंघन की चुनौतियों से मुक्त हो जाएगी।
- भारत को पहले कोवैक्सीन पर बौद्धिक संपदा अधिकार माफ करना चाहिए, या भारत बायोटेक से इसे खरीदना चाहिए, जिससे अन्य कंपनियां भी उत्पादन में संलग्न हो सकें।
भारत विकासशील देशों में से एक है, जिसके पास कोविड-19 से मुक्ति हेतु वैक्सीन निर्माण का ज्ञान है। हालांकि, प्रमुख सामग्री की उपलब्धता और कुछ व्यापार रहस्य अगर साझा नहीं किए जाते हैं, तो रिवर्स इंजीनियरिंग मुश्किल साबित होगी। इसलिए साथ ही सरकार को वैक्सीन निर्माण में जाने वाली मिश्रित सामग्रियों के उत्पादन में स्वदेशी क्षमता के लिए एक ऑल-आउट अभियान शुरू करना चाहिए।
भारत और दक्षिण अफ्रीका ने पिछले साल विश्व व्यापार संगठन में एक प्रस्ताव दिया था, जिसमें कोविड से संबंधित वैक्सीन चिकित्सीय और वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए पेटेंट और बौद्धिक संपदा अधिकारों के लिए माफी की मांग की गई थी। यद्यपि अमेरिका का फिलहाल का निर्णय केवल वैक्सीन से जुड़ा है, लेकिन फिर भी इस दिशा में एक प्रगतिशील कदम है। इसका अनुकरण यूरोपीय यूनियन और जापान भी कर रहे हैं।
समाचार पत्रों पर आधारित। 7 मई, 2021