कृषि में जल संरक्षण अभियान की जरूरत

Afeias
16 Apr 2021
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Date:16-04-21

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हाल ही में प्रधानमंत्री ने विश्व जल दिवस पर ‘जलशक्ति अभियान’ नामक कार्यक्रम की घोषणा की है। इसका उद्देश्य वर्षा जल की हर बूंद का संरक्षण करना है।

हमारे जल स्रोतों की वास्तविक स्थिति क्या है ? कैसे हम उद्योगों और कृषि को पर्याप्त जलापूर्ति करते हुए देश के प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करा सकते हैं ? ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर योजना की आपूर्ति के लिए ध्यान दिया जाना चाहिए।

  • भारत में बहुत सा वर्षा जल बर्बाद हो जाता है। इसके संरक्षण में वृद्धि हेतु 2050 तक का लक्ष्य रखा गया है।
  • धारणीय विकास लक्ष्यों में सभी के लिए शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लक्ष्य में से 2019 तक भारत ने 56.6% का लक्ष्य ही प्राप्त किया है। 122 देशों की जल गुणवत्ता सूची में भारत का स्थान 120वां है।
  • देश के ताजे जलस्रोतों का 78% कृषि में लग जाता है। इसको बचाना बहुत जरूरी है।
  • कृषि में भूमिगत जल का 64 % खर्च हो जाता है। इसके चलते जल की बहुत कमी होती जा रही है।

समाधान

  • सिंचाई के तरीके में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए ‘प्रत्येक बूंद से अधिकतम उपज’ वाला मिशन लेकर चलना होगा।
  • कृषि क्षेत्र में धान और गन्ने की फसल के पैटर्न को प्रति यूनिट सिंचाई जल उत्पादकता के आधार पर लगाया जाना चाहिए।
  • ड्रिप सिंचाई के माध्यम से जल की बहुत बचत की जा सकती है।
  • पंजाब सरकार ने विश्व बैंक के सहयोग से ‘पानी बचाओ पैसे कमाओ’ योजना शुरू की है। अभी तक के जल उपयोग को कम करने पर किसानों को ईनामी राशि दी जाती है।

अभी तक चल रही बिजली एवं पानी पर सब्सिडी के स्थान पर किसानों को प्रति हेक्टेयर के आधार पर प्रत्यक्ष आय सहयोग देने के साथ ही कृषि में ऐसे निवेश किए जाने की जरूरत है, जो नई तकनीकों और नवाचार के माध्यम से खेती को लाभ का सौदा बना सकें।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित अशोक गुलाटी और रितिका जुनेजा के लेख पर आधारित। 30 मार्च, 2021

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