आपूर्ति श्रृंखला में लचीलेपन की जरूरत

Afeias
18 Jan 2021
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Date:18-01-21

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महामारी के दौर ने पूरे विश्व को आयात और आपूर्ति श्रृंखला के मामले में एक सबक सिखा दिया है। आपूर्ति श्रृंखला में अवरोधों का कारण, प्राकृतिक या मानव-जनित, दोनों में से कोई भी हो सकता है। प्राकृतिक आपदा के संदर्भ में 2011 में जापान में आए भूकंप का उदाहरण दिया जा सकता है। उस दौरान वहाँ के परमाणु संयंत्रों में हुए विस्फोट से आपूर्ति श्रृंखला में बड़ा अवरोध उठ खड़ा हुआ था।

महामारी से पहले तक आपूर्ति श्रृंखला पर चीन का वर्चस्व था। नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ ही चीन पर निर्भर भारत समेत अनेक देशों को इससे जुड़े संकट का सामना करना पड़ा। भारत की ऑटोमोटिव, इलैक्ट्रॉनिक और दवा कंपनियों में उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ा।

एक नई पहल –

आपूर्ति श्रृंखला के इस संकट से जूझ रहे देशों में से भारत, जापान और आस्ट्रेलिया ने इस वर्ष ही सितम्बर माह में सप्लाई चेन रेसीलियन्स इनीशिएटिव (एस सी आर आई) की शुरूआत की। इसको ऑटोमोबाइल, पेट्रोलियम, स्टील, कपड़ा, वित्तीय सेवाओं और आई टी क्षेत्र पर केंद्रित रखा गया है। ऐसी उम्मीद है कि इस पहल में, फ्रांस और ब्रिटेन भी भविष्य में शामिल हो जाएंगे।

भू-राजनीति और भू-अर्थनीति को पृथक नहीं किया जा सकता। इस समय चीन अपने लाभकारी व्यापार और आर्थिक प्रबंधन को सभी देशों के साथ बनाए रखना चाहता है। लेकिन उसकी रणनीतिक चाल में कोई फर्क नहीं आया है। अतः भारत अब इस स्थिति में नहीं है कि वह चीन पर भरोसा कर सके।

आस्ट्रेलिया ने भी चीन के मनमाने आपूर्ति दांवपेंचों से दो-चार होने की ठान ली है। उधर, जापान के लगभग 89 उद्योग चीन से बारह जा चुके हैं।

भारत की निर्भरता –

भारत जैसी विशाल और उभरती अर्थव्यवस्था के लिए आपूर्ति की बाधाओं को वहन करना बड़ा कठिन है। दूसरी ओर, वह आयात पर अनावश्यक निर्भरता की स्थिति से भी मुक्त होना चाहता है।

भारत को अपने ऑटोमोबाइल उद्योग की आवश्यकताओं में से 27% की आपूर्ति के लिए चीन पर निर्भर रहना पड़ता था। वहीं दवा उद्योग का 80% कच्चा माल चीन से आयात किया जाता था। इसी प्रकार इलैक्ट्रॉनिक और रक्षा उपकरण उद्योग में भी चीन द्वारा की जाने वाली आपूर्ति पर निर्भरता रही है।

आत्मनिर्भर भारत –

आपूर्ति में आई बाधाओं के मद्देनजर केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत नीति की शुरूआत की है। ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के अंतर्गत रक्षा क्षेत्र की आयात सूची से 101 सामग्रियों को हटाकर, घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इसी प्रकार सरकार सेमीकंडक्टर तथा प्रिंटेड सर्किट बोर्ड जैसे इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहन दे रही है। इस समय भारत में विदेशी कंपनियों के लिए एक अच्छा अवसर है, जब वे भारतीय निर्मातओं के साथ समझौते कर सकती हैं।

आत्मनिर्भरता का अर्थ यह कदापि नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक अर्थव्यवस्था में भागीदारी, और विदेशों के वाणिज्य-व्यवसाय से काट दिया जाए। उल्टे, इसका लक्ष्य है कि आपूर्ति में आने वाली भविष्य की बाधाओं से मुक्त करके भारत को विश्व में शक्तिशाली बनाया जा सके।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित सुजन आर. चिनॉय के लेख पर आधारित। 30 दिसम्बर, 2020

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