आपूर्ति-श्रृंखला से जुड़ने का सुनहरा अवसर

Afeias
03 Nov 2021
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Date:03-11-21

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सेमीकण्डक्टर में आपूर्ति श्रृंखला के संकट को देखते हुए ऐसा कहा जाने लगा है कि भारत को इस क्षेत्र में उतरना चाहिए, और चिप्स फेब्रीकेशन फेसिलिटी (फैब्स) तैयार करने चाहिए। लेकिन ऐसा कई अर्थों में संभव नहीं है। इसके कई कारण हैं-

  1. फैब्स के लिए पर्याप्त वार्षिक निवेश की आवश्यकता होती है। इंटेल, सैमसंग जैसी चिप बनाने वाली कंपनियां शोध-अनुसंधान, प्रक्रियात्मक प्रगति एवं नई फेब्रीकेशन मशीनरी में प्रतिवर्ष 20 अरब डॉलर निवेश करती हैं। क्या भारत के लिए ऐसा करना संभव है ?
  1. फैब प्रौद्योगिकी अत्यधिक जटिल होती है, जिसकी विफलता का प्रतिशत बहुत अधिक है। एक वर्ग इंच चिप में अरबों ट्रांसिस्टर होते हैं। एक से दूसरे ट्रांसिस्टर के बीच की दूरी को नैनोमीटर में नापा जाता है।
  1. विश्व में फैब फेसिलिटी की भरमार होने वाली है। चीन ने जैसे ही अपने एक सेमीकण्डर उद्योग की स्थापना की योजना बनाई है, वैसे ही अमेरिका के कान खड़े हो गए हैं। इस प्रतिस्पर्धा के चलते अब फैब्स पर भारी निवेश किया जाएगा। अमेरिकी सरकार ने चिप विनिर्माण पर 50 अरब डॉलर निवेश की घोषणा कर दी है।

भारत को क्या करना चाहिए ?

  • चिप मूल्य श्रृंखला के कुछ हिस्सों पर ध्यान देना चाहिए। ये वैल्यू चेन राजस्व में 40% का योगदान करते हैं।
  • चिप डिजाइन और संयोजन, परीक्षण व पैकेजिंग ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ भारत अच्छा काम कर सकता है।
  • इन चिप्स की सालाना बिक्री एक खरब तक पहुँचने का अनुमान है। अतः भारत के चिप डिजाइन, संयोजन तथा परीक्षण उद्योग में रोजगार के अनेक अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।

अमेरिका को अभी भी सेमीकण्डटर क्षेत्र में बढ़त हासिल है। इसकी आपूर्ति-श्रृंखला के लिए वह चीन से अलग एक मित्र राष्ट्र चाहता है। इस भूमिका के लिए भारत सामने आ सकता है। इससे अनेक लाभ होने की संभावनायें हैं।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अजय श्रीवास्तव के लेख पर आधारित। 12 अक्टूबर, 2021

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