आईएनएस विक्रांत : मील का पत्थर

Afeias
10 Oct 2022
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भारत ने हाल ही में स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित अपना पहला विमानवाहक पोत लॉन्च किया है। इसका नाम आईएनएस विक्रांत है। इससे जुड़ी कुछ विशेषताएं –

  • इसके साथ ही भारत 40,000 टन की वाहक और विस्थापन क्षमता वाले पोत का डिजाइन और निर्माण करने वाले देशों के समूह में शामिल हो गया है। इस समूह में अमेरिका, यू.के, रूस, फ्रांस और चीन पहले ही शामिल हैं।
  • इस जहाज के निर्माण में 17 वर्ष और लगभग 20,000 करोड़ रुपये लगे हैं।
  • पोत में कुल मिलाकर 76% स्वदेशी सामग्री लगी है। लेकिन इसकी महत्वपूर्ण तकनीक का आयात किया गया है।
  • यह पोत अपने आप में 7,500 नॉटिकल मील की अवधि के साथ इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है।
  • इसमें लगभग 1600 के एक दल के लिए लगभग 2200 कंपार्टमेन्ट हैं। महिला अधिकारियों और नाविकों के लिए विशेष केबिन और सभी के लिए चिकित्सा सुविधा शामिल हैं।
  • हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर में भारत की सक्रिय समुद्री रणनीति के लिए यह पोत महत्वपूर्ण होगा। यह एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत में भारत के हित और प्रधानमंत्री के ‘सिक्योरिटी एण्ड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रिजन’ के विचार को साकार करने में अहम् भूमिका निभाएगा।
  • यह पोत वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की भारत की महत्वाकांक्षा के लिए मजबूती प्रदान करेगा।
  • क्षेत्र में बढ़ती चीनी गतिविधि पर अंकुश रखने और अमेरिका के साथ भारत के घनिष्ठ सहयोग की पृष्ठभूमि में भारतीय नौसेना का काफी विस्तार हो सकेगा।
  • मिग-29 के लड़ाकू विमानों को अब विक्रांत के बेड़े की वायुसेना में एकीकृत किया जाएगा।

भारतीय नौसेना तीन विमानवाहक पोत रखना चाहती है। उसके पास पहले से ही आईएनएस विक्रामादित्य है, जो रूस से खरीदा गया है। विक्रांत के निर्माण से प्राप्त विशेषज्ञता का उपयोग अब दूसरा, अधिक सक्षम, स्वदेशी वाहक बनाने के लिए किया जा सकता है। इस पोत के लॉन्च होने से भारत और इसके उभरते रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को लक्ष्य और आगे बढ़ने का विश्वास मिलता है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 3 सितम्बर, 2022

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