जन समृद्धि से देश की समृद्धि की ओर

Afeias
11 Oct 2022
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हाल ही में भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़कर विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इसके पीछे भारत का बढता मध्यम वर्ग, एक मजबूत डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र और विशाल जनसांख्यिकीय लाभांश की भूमिका है। एसबीआई रिसर्च बताती है कि इस दशक के खत्म होने से पहले भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। कुछ बिंदु –

  • विकास पथ पर आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त लोगों को तैयार करना है।
  • कृषि पर जनता की अत्यधिक निर्भरता को कम करते हुए उन्हें इससे बाहर निकालना एक चुनौती है। इसके लिए पूर्वी एशियाई देशों की विनिर्माण पर निर्भर होने की नीति को अपनाना होगा।
  • दशकों से भारत ने शिक्षा, कौशल और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में पर्याप्त रूप से ध्यान नहीं दिया है। यूनेस्को के एजुकेशन 2030 फ्रेमवर्क फॉर एक्शन की देशों से अपील है कि जीडीपी का 4-6% शिक्षा पर खर्च करें। 2021-22 में भारत का केंद्रीय और राज्य का संयुक्त शिक्षा बजट खर्च सिर्फ 3% रहा है।
  • सरकार को मानव पूंजी में सुधार लाने वाली कल्याणकारी योजनाओं को प्राथमिकता देनी होगी।
  • केंद्र को राज्यों को अधिक कर राजस्व हस्तांतरित करना चाहिए।
  • केंद्र-राज्य की उलझनों के कारण निजी क्षेत्र में अपर्याप्त रोजगार हैं। इससे जनता की सरकार पर निर्भरता बढ़ती है।

अधिक-से-अधिक आर्थिक सुधारों के साथ भारत अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। सरकार एवं सभी दलों को महसूस करना चाहिए कि आर्थिक सुधार ही अंततः समृद्धि की ओर ले जाएंगे।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 5 सितम्बर, 2022

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