ईवी के लिए लिथियम-आयन बैटरी के विकल्प ढूंढ़ने होंगे

Afeias
23 Jul 2024
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अगर भारत को इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे उभरते विनिर्माण क्षेत्र में आगे बढ़ना है, तो उसे लिथियम आयन बैटरी तकनीक पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना होगा।

2022 में लिथियम-आयन बैटरी उम्पादन क्षमता में चीन की वैश्विक भागीदारी 77% थी। इसी के दम पर चीन ईवी बाजार में शीर्ष पर पहुंचने की सोच रहा है।

भारत इस मामले में कॉफी पीछे है। हालांकि, हाल ही में छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में लिथियम के एक ब्लॉक की नीलामी होनी है, और दूसरे ब्लॉक में खनिज के आशाजनक भंडार दिखाई दे रहे हैं।

लेकिन भारत में खनिज रिपोर्टिंग मानक अविकसित हैं। इसके चलते कई ब्लॉक में खनिज भंडार का सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। इससे निवेश में कमी आती है।

साथ ही, यहाँ का अधिकांश लिथियम हार्डरॉक ग्रेनाइट और पेग्माटाइट के रूप में है, जिससे इसे निकालना मुश्किल हो जाता है।

अतः भारत को बैटरी के लिए अन्य विकल्प तलाशने होंगे।

मेटल एयर बैटरी में ऑक्सीजन, एल्यूमीनियम, जिंक और आयरन का उपयोग किया जा सकता है। यह कम बजट में तैयार हो सकती है, लेकिन रिचार्ज नहीं की जा सकती है। रिसायकिल की जा सकती है।

चीन, सस्ती सोडियम बैटरी में भी भारी निवेश कर रहा है।

भारत भी ऐसे सस्ते बैटरी विकल्प ढूंढ सकता है। इसके लिए उसे उपयुक्त खनन उद्योग तकनीक और प्रक्रियाओं में पर्याप्त अनुसंधान करना होगा। इसके माध्यम से वह वैकल्पिक बैटरी में चीन को टक्कर दे सकता है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 25 जून, 2024