देश के हित में हैं केंद्र-राज्य बैठक
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महामारी के दौर के बाद नीति आयोग की सातवीं संचालन परिषद् की बैठक हाल ही में संपन्न हुई है। इसमें 23 मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया था। कुछ मुख्य बातें –
- सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि राजनीतिक कार्यपालिका की संघीय संरचना में आने वाले मतभेदों को दूर करने के लिए बैठकों का होना बहुत जरूरी है।
- इससे संसाधनों के साझाकरण जैसे मुद्दों को हल करने में मदद मिलती है। ऐसी बैठकों के लिए किसी प्रकार की राजनीतिक बाधा उत्पन्न नहीं की जानी चाहिए।
- इस बैठक में सामूहिक चर्चा का केंद्र बिंदु जीएसटी रहा है।
- केंद्र-राज्य के बीच जीएसटी ढांचे में सुधार न केवल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का सबसे प्रभावी तरीका है, बल्कि यह केंद्र सरकार और राज्यों के बीच के घर्षण को भी कम करता है।
- इस बैठक में जीएसटी संबंधी दो चुनौतियों को रेखांकित किया गया। पहला, जीएसटी की अस्थिर स्थिति ने जीडीपी टैजेक्टरी के संबंध में इसके राजस्व प्रदर्शन में बाधा उत्पन्न की है। कहने का तात्पर्य है कि 2021-22 की हर तिमाही में जीएसटी के उछाल में गिरावट आई है। दूसरे, केंद्र सरकार ने राज्यों के उपकर के हिस्से को बढ़ाकर करों के विभाज्य पूल के उनके हिस्से को कम कर दिया है।
बावजूद इसके कुछ राज्यों ने प्रदर्शन करते हुए जीएसटी मुआवजे पर अपनी निर्भरता को नहीं के बराबर कर दिया है। हालांकि उपकर की प्रवृत्ति और एक आर्थिक झटके से उनके प्रयासों को आंशिक रूप से कमजोर कर दिया गया था। इस प्रकार के मुद्दों पर विचार-विमर्श हेतु मुख्यमंत्रियों को बैठक में शामिल होना ही चाहिए। राज्यों की कमजोर वित्तीय स्थिति भारत की विकास संभावनाओं को क्षति पहुंचा सकती है। इस पूरे दृष्टिकोण से नीति आयोग की बैठक का होना देशहित में महत्वपूर्ण कहा जा सकता है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 9 अगस्त, 2022
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