डेटा प्रोटेक्शन कानून की बड़ी कमियां

Afeias
11 Dec 2025
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14 नवंबर, 2025 को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन रूल्स या डिजिटल निजी डेटा संरक्षण नियम को नोटिफाई किया गया है। इसमें यूजर डेटा के लिए कुछ जरूरी सुरक्षा शामिल की गई है। लेकिन इसमें कई बड़ी कमियां हैं –

  • यह कानून कुछ सरकारी संगठनों को भारतीयों के डेटा तक खुली पहुँच की छूट देता है।
  • डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड बनाया तो गया है, लेकिन वह बहुत कमजोर है। यह इलेक्ट्रिानिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन ही काम करेगा।
  • सबसे बड़ी कमी सूचना के अधिकार कानून को कमजोर करने की है। सूचना अधिकारी अब किसी भी निजी जानकारी को देने से आसानी से मना कर सकते हैं। केवल अन्य कानूनों के तहत पहले से ही सार्वजनिक करने के लिए जरूरी जानकारी ही लोगों को मिल सकेगी। जवाबदेही चाहने वालों के लिए कोई रास्ता नहीं है।
  • नियमों में बताए गए जरूरी सुरक्षा उपायों को 2027 तक लागू करने की छूट दी गई है। जबकि इन उपायों को तुरंत अमल में लाने की जरूरत है। बड़ी-बड़ी टेक कंपनियों के लिए 12-18 महीने की अनुपालन टाइमलाइन देकर सरकार ने बहुत ढील दे दी है। इस अवधि में तो वे भारतीयों के डेटा का मनचाहा उपयोग करते रहेंगे।

कहने को यह कानून सभी हितधारकों के लिए ‘एसएआर एएल या सरल’ (सिंपल, एक्सेसिबल, रैशनल और एक्शनेबल) अप्रोच का उपयोग करता है। लेकिन अपने उद्देश्य से अलग यह व्यक्ति के निजता के अधिकार और संगठनों व सरकारी संस्थाओं की कानूनी और जिम्मेदार डाटा प्रोसेसिंग की जरूरत के बीच संतुलन नहीं बनाता है।

‘द हिंदूमें प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 17 नवंबर 2025