डेटा प्रोटेक्शन बिल के माध्यम से आरटीआई अधिनियम में संशोधन

Afeias
22 May 2025
A+ A-

To Download Click Here.

  • सूचना का अधिकार अधिनियम या आरटीआई एक्ट को पिछले कुछ वर्षों से लगातार कमजोर करने का प्रयास किया जाता रहा है।
  • फिलहाल अधिनियम की धारा 8(1) (1) में संशोधन से एक बड़ा खतरा सामने आया है। यह खतरा डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 की धारा 44(3) में दिखाई देता है। यह ‘व्यक्तिगत जानकारी’ को रोकने की अनुमति देती है। आरटीआई अधिनिमय की धारा 8(1)(1) सार्वजनिक निकायों को ‘सार्वजनिक सूचना से संबंधित सूचना‘ पर रोक लगाने की अनुमति देती है। अगर संबद्ध अधिकारी को विश्वास हो कि उस सूचना से निजता का अनावश्यक उल्लंघन नहीं हो रहा है, तो वह उसे सार्वजनिक करने की अनुमति दे सकता है। डेटा संरक्षण अधिनियम ‘व्यक्तिगत जानकारी‘ को रोकने की अनुमति देता है।
  • केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने धारा 44(3) का बचाव करते हुए सफाई दी है। कि इसका उद्देश्य आरटीआई के दुरुपयोग को रोकना है। निजता और सूचना के अधिकार की आवश्यकता को सुसंगत बनाना है।
  • परेशानी यह है कि ‘व्यक्तिगत जानकारी’ को अस्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। अधिकारी पहले से सार्वजनिक डेटा को ‘व्यक्तिगत’ के रूप में वर्गीकृत करके आरटीआई अनुरोधों को अस्वीकार कर सकते हैं।

सरकार को नागरिक समाज और पारदर्शिता के लिए संघर्ष कर रहे कार्यकर्ताओं की चिंताओं पर ध्यान देना चाहिए, और सही कदम उठाना चाहिए।

द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 15 अप्रैल, 2025