रेल बजट की समाप्ति
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हाल ही में पृथक रेल बजट को खत्म करने का सरकार का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है। दरअसल ब्रिटिश काल में भारत के उद्योगों में रेलवे सबसे बड़ा व्यावसायिक उद्योग था, जिसने सरकारी अर्थव्यवस्था पर आधिपत्य कर रखा था। उस समय इसके वृहद और महत्वपूर्ण रूप को देखते हुए पृथक रेल-बजट की परंपरा शुरू हुई।
निःसंदेह रेलवे आज भी सरकारी तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग है, परंतु आज कई सरकारी एवं निजी निगम उससे भी बड़े हैं। अतः रेलवे के लिए पृथक बजट की कोई ऐसी आवश्यकता दिखाई नहीं देती।
- रेल बजट को खत्म करने के साथ ही इसे कार्पोरेट क्षेत्र के लिए खोल देना चाहिए। इसके शेयर बिक्री के लिए उपलब्ध हों। फिलहाल रेलवे 14 कार्पोरेशन में बंटा हुआ है, जिसमें से कंटेनर कार्पोरेशन तो स्टॉक मार्केट की ब्लू चिप सूची में है।
- रेलवे में निवेश के लिए धन की कमी का रोना बहुत समय से रोया जा रहा है। यदि इसे कार्पोरेट के लिख खोल दिया जाए एवं शुरुआती दौर में इसके 25 प्रतिशत स्टॉक बेच दिए जाएं, तो रेलवे के विस्तार के लिए पर्याप्त धनराशि मिल जाएगी।
- रेलवे के सभी कार्पोरेशन को शेयर बाजार की सूची में डालने से एक लाभ यह भी होगा कि ये कार्पोरेशन जनता के निरीक्षण में रहेंगे। इससे रेलवे; जो अभी तक राजनेतओं के लिए मतदाताओं को रिझाने का खिलौना बनी हुई है, उसका सही व्यावसायिक पक्ष सिद्ध हो सकेगा।
- रेलवे के पृथक बजट को प्रस्तुत करके राजनेता मीडिया में छाए रहना चाहते हैं। वे रेलवे के वित्त का राजनीतिकरण करके उसे अपने हित में साधने का प्रयत्न करते रहे हैं। यही कारण है कि आज चीन ने रेल का विकास करके ल्हासा जैस दूरस्थ क्षेत्र तक रेल लाइन बिछा दी है, जबकि स्वतंत्रता प्राप्ति के समय विश्व में रेलवे का सबसे बड़ा नेटवर्क रखने वाला भारत पिछड़ गया है।
- राजनेताओं ने चुनावों में जीत हासिल करने के लिए लगातार यात्री किराए को यथावत या न्यूनतम बढ़ोत्तरी पर रखकर माल-भाड़े में वृद्धि की। सन् 1950 में जो दर 13 थी, वह 2014 में बढ़कर 3.68 हो गई। इसके विपरीत चीन में यह 1 से भी कम है। यही कारण है कि चीन एक सस्ता, मगर प्रतिस्पर्धा वाला देश है।
- सरकार को मेन इक इंडिया का सपना पूरा करने के लिए रेलवे को राजनीति से मुक्त करके तकनीकी आधार पर विकसित करना होगा, और एक विश्वस्तरीय रेलतंत्र बनाना होगा।
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में स्वामीनाथन अंकलेश्वर अय्यर के लेख पर आधारित।
रेल बजट की समाप्ति
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