सीएसआर की प्रभावशीलता में कमी
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भारत जैसे विकासशील देशों में इंडिया इंक या कार्पोरेट क्षेत्र भी विकास में बराबर का भागीदार है। इस दृष्टि से कार्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी का खर्च भी बढ़ा है। मंत्रालय के अनुसार यह 2016 की तुलना में 80% बढ़कर 26,210 करोड़ रुपए हो गया है। लेकिन दुर्भाग्य से इसके प्रभाव को व्यापक रूप से महसूस नहीं किया गया है। पूंजी-निवेश और क्रियान्वयन के खर्च के बीच उचित संतुलन बनाकर इसको प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
मंत्रालय के अनुसार कंपनियों को अपने सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी फंड का उपयोग राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए समान रूप से करना चाहिए। कंपनी अधिनियम 2013 के तहत सीएसआर प्रावधान में 500 करोड़ रुपये या अधिक शुद्ध संपत्ति वाली कंपनी, 1000 करोड़ रुपये या अधिक के टर्नओवर वाली कंपनी या 5 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ वाली कंपनी को अपने औसत शुद्ध लाभ का 2% सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना होता है। इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए कुछ कमियों को दूर करने की जरूरत है –
- कंपनियों को इसे अपनी बिजनेस रणनीति के केंद्र में रखना होगा।
- सीएसआर की योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए सुशासित एनजीओ की कमी को दूर करना होगा।
- योजनाओं के सही लाभ के लिए स्थानीय समुदायों को साथ लेकर चलना होगा।
2030 के धारणीय विकास लक्ष्य की अंतिम सीमा निकट है, और लक्ष्यों को पूरा करने का दबाव बढ़ रहा है। इसके लिए सीएसआर की योजनाओं को प्रभावशाली और व्यापक बनाया जाना जरूरी है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 5 जुलाई, 2023