कॉरपोरेट कराधान का वैश्वीकरण

Afeias
29 Oct 2021
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Date:29-10-21

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भारत जैसे कई देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियां काम करती हैं। अमेरिका जैसे देशों की कंपनियां कर-भुगतान को कम करने के उद्देश्य से अपने मुख्यालय को कम कर वाले स्थानों में ले जाती हैं। ऐसे सभी देश और कंपनियां, ग्लोबल कॉरपोरेट टैक्स सिस्टम का समर्थन कर रहे हैं। इनमें 136 देश शामिल हैं। अब इसे जी-20 के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

मुख्य बातें –

  • बेस इरोजन एण्ड प्रोफिट शिफ्टिंग या आधार ऋण एवं लाभ स्थानांतरण को समाप्त करने के लिए ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकॉनॉमिक कारपोरेशन एण्ड डेवलपमेंट (ओईसीडी) द्वारा अनुमोदित इस अभियान से 2022 में राष्ट्रीय कानूनों और वैश्विक सम्मेलनों को सघन बनाया जाएगा। 2023 में इसे लागू किया जाएगा।
  • इस समझौते के दो घटक हैं। पहले के अनुसार, देशों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लाभ के एक अंश पर कर लगाने का अधिकार दिया जाता है। इसमें लाभ मार्जिन तथा वैश्विक बिक्री का 10%, 20 अरब यूरो का सीमा स्तर होता है। अब, 10% के सीमा मार्जिन से ऊपर के लाभ का एक-चौथाई अंश उन देशों को सौंपा जाएगा, जहां ये कंपनियां बिक्री करती हैं। इसके बदले, देशों को वैश्वीकरण से लाभ कमाने वाली कंपनियों पर कर लगाने के टेढ़े-मेढ़े प्रयास को छोड़ना होगा। उदाहरण के लिए, भारत को इक्वलाइलेशन लेवी को छोड़ना होगा।
  • दूसरे घटक में, सभी देश 75 करोड़ यूरो टर्नओवर वाली कंपनियों पर न्यूनतम 15% कार्पोरेट टैक्स लगा सकेंगे, और सालाना 150 अरब डॉलर का राजस्व संग्रह कर सकेंगे।
  • किसी देश की घरेलू सरकारें अपने करों को सहमत न्यूनतम दर पर ला सकेंगी। इससे लाभ को टैक्स से राहत देने वाले अन्य देश में स्थानांतरित करने का लाभ समाप्त हो जाता है।

भारत को इस समझौते से लाभ होने की पूरी संभावना है, क्योंकि भारत की प्रभावी घरेलू कर-दर 15% की न्यूनतम सीमा से अधिक है। इस प्रकार से भारत, अधिक निवेश आकर्षित कर सकता है।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय व अन्य स्रोतों पर आधारित। 11 अक्टूबर, 2021