चावल-गेहूँ की खेती के अलावा भी सोचा जाए

Afeias
20 Jan 2021
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Date:20-01-21

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सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए अन्य सुधारों के साथ भारत को अपने सदियों पुराने चावल-गेहूं की फसलों की प्रमुखता के पैटर्न को बदलना होगा।

ऐसा देखने में आता है कि चावल और गेहूँ की कीमतों की तुलना में सब्जियों की कीमतें अधिक अस्थिर होती हैं। इसका कारण इनकी आपूर्ति में उत्पन्न होने वाली अस्थिरता या बाधा होती है। सब्जियों की कमी और उसके द्वारा बढ़ने वाली कीमतों का लाभ किसानों को मिल सकता है। इस दौरान वे आपूर्ति-मांग के अंतर को भरकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ भी आपूर्ति के बढ़ते ही कीमतें धडाम से नीचे गिरती हैं। भारतीय किसान को इस दुष्चक्र से निकालने की जरूरत है।

सरकार को चाहिए कि वह किसानों के फसलों की दिशा को बदलने के लिए सब्जी, तिलहन,दालों और फल आदि को प्रोत्साहन दे। साथ ही वह यह प्रचार भी करे कि किसानों को इसमें ज्यादा लाभ है।

केंद्रीय बजट किसानों को यह विश्वास दिलाने का एक सुअवसर है कि अनाज से परे भी नकदी फसलों की खेती की जा सकती है, जो लाभकारी हो सकती है।

 ‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित सम्पादकीय पर आधारित। 4 जनवरी 2021