भविष्य की तैयारी का समय

Afeias
24 Apr 2020
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Date:24-04-20

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कोविड-19 संक्रमण का प्रभाव हर क्षेत्र में अपना रंग दिखा रहा है। परंतु इसके परिणामस्वरूप सबसे ज्यादा प्रभावित होने वालों में हमारे काम के तरीके का बदलना है। संक्रमण के इस दौर में बड़े पैमाने पर जिस “वर्क फ्रॉम होम” संस्कृति की शुरूआत हुई है, उसने दुनिया भर को परंपरागत काम के तरीके पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर दिया है।

तकनीक के क्षेत्र में आया परिर्वतन हमारे जीवन को ऐसे ढाल रहा है, जिसकी कुछ वर्ष पूर्व तक कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। लगता है, जैसे कोविड-19 पश्चात् की अवधि में, एक निश्चित जगह और समय पर कार्य करने वाली संस्कृति अप्रासंगिक हो जाएगी। इस बदलते परिदृश्य के भी अपने कुछ लाभ हैं।

  1. “वर्क फ्रॉम होम” से आने-जाने में लगने वाले समय की बचत होगी। इससे उत्पादकता भी बढ़ेगी, और जीवन व कार्यक्षेत्र में एक संतुलन स्थापित हो सकेगा।
  1. फिलहाल के वैश्विक परिदृश्य में, आपूर्ति श्रृंखलाएं आउटसोर्सिंग और बहुत ही कम मार्जिन पर चल रही थीं। सभी उत्पादों के लिए देशों को कहीं-न-कहीं चीन पर निर्भर रहना पड़ता था। अब इस व्यापार का रुख भारत, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया की ओर मुडने की संभावना है। यहाँ तक कि उद्योगों की पुर्नस्थापना पर विचार किया जा रहा है। अब व्यापारी घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं की तलाश कर रहे हैं।
  1. समस्त आपूर्ति श्रृंखलाओं में हो रहे उलटफेर से भारत को बहुत लाभ होने वाला है। इस अवसर पर खरे प्रदर्शन के लिए कुछ सुधारों की आवश्यकता है।
  • हमारी कंपनियों को वैश्विक मांगों के अनुसार अपना आकार बढाना होगा। उन मानदण्डों पर खरा उतरना होगा।
  • देश में टेलीमेडिसीन का सुनहरा भविष्य है। हमारे यहां चिकित्सकों और स्वास्थकर्मियों की भारी कमी है। चिकित्सकों से कांफ्रेंस के माध्यम से मशविरा लेकर अस्पतालों की भीड़ को कम किया जा सकता है। अमेरिका में टेली-परामर्श के खर्च को भी स्वास्थ्य बीमा में कवर किया जाता है। हाल ही में भारत सरकार ने भी टेलीमेडिसीन की सुविधा प्रदान की है।
  • आने वाले समय में हम कांटैक्ट लैस डिलीवरी का भी लाभ उठा सकते है। उपभोक्ताओं को अपना सामान ‘नो कांटैक्ट‘ सिस्टम के माध्यम से पहुंचाए जाने के क्षेत्र में अनेक संभावनाएं हैं। आने वाला समय ई-कामर्स और ई-फार्मेसी का होने वाला हैं।

चाल्र्स डार्विन ने कहा था कि, ‘एक मजबूत और बुद्धिमान नस्ल जीवित रहे या न रहे, परंतु वह जरूर जीवित रहेगी, जिसमें परिवर्तन के प्रति अनुकूलन-क्षमता होगी।‘ अतः हमारे लिए यह अनिवार्य हो गया है कि हम ऐसे सुधार करें और ऐसी नीतियां बनाएं, जो कोविड-19 के पश्चात् भारत के भविष्य को दृढ़ आधार दे सकें।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स‘ में प्रकाशित अमिताभ कांत के लेख पर आधारित। 15 अप्रैल, 2020

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