बुलडोजर कार्रवाई पर न्यायालय का आदेश
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कुछ राज्यों में दोषियों के विरूद्ध होने वाली बुलडोजर कार्रवाई पर उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित किया है।
कुछ बिंदु –
- न्यायमूर्ति ने कहा कि कार्यपालिका ‘न्यायाधीश नहीं हो सकती’।
- बुलडोजर कार्रवाई से हमारी न्यायपालिका के सूत्र वाक्य ‘’दोषी साबित होने तक निर्दोष’’ का मज़ाक उड़ाया जाता रहा है।
- इतना ही नहीं, ऐसे मामलों में घोर अन्याय यह है कि आरोपी के परिवार को तुरंत सजा दे दी जाती है। घर का अधिकार जीवन के अधिकार का एक महत्वपूर्ण पहलू है। अवैध रूप से तोड़फोड़ का एक भी मामला संविधान के लोकाचार के विरूद्ध है। यह मौलिक अधिकारों की सुरक्षा का मामला है।
- यह आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या सार्वजनिक स्थानों पर अनाधिकृत निर्माण पर लागू नहीं होता है। लेकिन अगर सरकारें इसकी आड़ में बुलडोजर कार्रवाई का प्रयास करती हैं, तो उच्चतम न्यायालय को अवमानना कार्यवाही तेजी से शुरू करनी होगी।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 18 सितंबर, 2024
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