पूजा स्थल अधिनियम पर न्यायालय का ठोस आदेश

Afeias
03 Jan 2025
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हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने पूजा स्थल कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की है।

कुछ बिंदु –

  • 11 सितंबर 1991 को संसद ने देश को सांप्रदायिक दंगों से बचाने के लिए पूजा स्थल अधिनियम पारित किया था।
  • यह कानून किसी भी पूजा स्थल को देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के समय की स्थिति से बदलने पर रोक लगाता है। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद को इससे छूट दी गई थी।
  • तीन दशक बाद 2019 में अयोध्या मामले पर निर्णय में उच्चतम न्यायालय ने पूजा स्थलों में अधिनिमय की अनिवार्यता पर विस्तार से बात की थी। न्यायालय ने कहा था कि यह संविधान में दी गई भारत की धर्मनिरपेक्ष विशेषताओं को बनाए रखने का विधायी साधन है।
  • हाल ही में उत्तरप्रदेश के संभल में मस्जिद में मंदिर ढूंढने के प्रयास हुए हैं। ऐसी घटनाओं को ध्यान में रखते हुए तीन जजों की बेंच ने पूजा स्थलों के खिलाफ आगे के मुकदमों पर रोक लगा दी है। लंबित मुकदमों पर रोक नहीं लगाई है।
  • साथ ही, आदेश दिया है कि कोई भी न्यायालय पूजा स्थल के सर्वेक्षण या इससे जुड़ा कोई भी आदेश पारित नहीं करेगा।

पूजा स्थल अधिनियम नागरिकों को व्यर्थ के विघटन से बचाने का अच्छा प्रयास है। इसका सम्मान किया जाना चाहिए।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 13 दिसंबर, 2024