भारतीय सहकारी समितियों के वैश्वीकरण का सही समय

Afeias
13 May 2024
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हाल ही में गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ ने मिशिगन मिल्क प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के साथ साझेदारी की घोषणा की है। इसके तहत ब्रांडेड अमूल दूध अमेरिका में उपलब्ध कराया जाएगा। यह सफलता कई कारणों से महत्वपूर्ण है –

अमूल जैसी सहकारी समिति के उत्पाद पहले से ही 50 से अधिक देशों में निर्यात किए जा रहे हैं। पर यह पहली   बार है कि इसका ब्रांडेड ताजा दूध भारत के बाहर भी उपलब्ध हो सकेगा।

अमेरिका में उपलब्धता से इसकी शुरुआत भर हो रही है। धीरे-धीरे इसे अन्य देशों में भी शुरु किया जा सकेगा।

तीसरा, यह देश की अन्य सहकारी समितियों के लिए वैश्विक स्तर पर विस्तार का आधार बनाता है।

ज्ञातव्य हो कि वैश्विक दुग्ध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 24% हो चुकी है।

सहकारी समितियों के मामले में हमें मलेशिया, न्यूजीलैंड, कनाडा और केन्या जैसे देशों से सफलता के मंत्र सीखने की जरूरत है।

क्योंकि, संयुक्त राष्ट्र ने 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित कर रखा है। इसलिए भारत के सहकारी आंदोलन के वैश्वीकरण के लिए यह उचित समय कहा जा सकता है।

वैश्विक पहुंच और मान्यता के लिए सरकार सर्वश्रेष्ठ सहकारी समितियों का एक समूह बना सकती है। इससे रोजगार, धन सृजन और राष्ट्रीय विकास में अधिक मदद मिलेगी।

हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित जॉर्ज स्कारिया के लेख पर आधारित। 22 अप्रैल, 2024

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