
भांति-भांति की मानसिक स्थितियां
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गत वर्ष, मनोवैज्ञानिक विज्ञान की एक पत्रिका ने एक प्रकार की मानसिक स्थिति के बारे में चर्चा की थी। इस स्थिति के व्यक्ति में अपने अंदर की या आंतरिक आवाज को सुनने की क्षमता नहीं होती है। वैज्ञानिकों ने इस स्थिति को ‘एनेंडोफेसिया’ नाम देने का प्रस्ताव रखा है।
इस प्रकार के व्यक्ति को ‘ध्यान’ करने में मुश्किल आती है। सांस पर ध्यान केंद्रित करने में उन्हें अपने मस्तिष्क का सहयोग नहीं मिल पाता है। ऐसे लोगों के लिए अपनी आंतरिक आवाज ‘इनर वॉयस‘ को सुनने का एक मात्र तरीका बातचीत ही बच जाता है। हालांकि यह दुनिया के हर हिस्से में हो, यह जरूरी नहीं है। फिर भी यह मानव विविधता से जुड़ा हुआ मामला है।
मस्तिष्क की ऐसी स्थितियों को हम आज अक्सर रोगों से जोड़ लेते हैं। यह भ्रांति है। इन्हें मनोरोगी नहीं कहा जाना चाहिए। मानवीय अनुभवों का एक विशाल स्पैक्ट्रम है। यहाँ एक व्यक्ति के अनुभव दूसरे से भिन्न हो सकते हैं। एक व्यक्ति सपने देख सकता है, तो हो सकता है दूसरा नही देख सकता हो। इसी प्रकार से याद करने और रखने की भी अपनी-अपनी क्षमताएं हो सकती हैं। एक अध्ययन से पता चलता है कि हममें से कुछ लोग स्वयं से 4000 शब्द प्रति मिनट की गति से बात करते हैं।
कुल मिलाकर, मस्तिष्क की भिन्न-भिन्न अवस्थाएं हैं। वे जैसी हैं, उन्हें वैसा ही स्वीकार करके आगे बढ़ने में कल्याण है।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधरित। 8 अप्रैल, 2025