भारत में जैव विविधता की अपार संभावनाओं से जुड़े कुछ बिंदु
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- पृथ्वी की 17% जनसंख्या भारत में निवास करती है। इसके साथ ही जैव विविधता की बहुलता वाले वैश्विक क्षेत्र का 17% भी भारत में ही है। इस दृष्टि से भारत जैव विविधता का भंडार सिद्ध हो सकता है।
- दिसंबर, 2022 को हमारे ग्रह की जैव विविधता के महत्व को व्यक्त करने के लिए मॉन्ट्रियल, कनाडा में जैव विविधता सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें 188 देशों के प्रतिनिधियों ने दुनिया की 30% भूमि का संरक्षण करके जैव विविधता के नुकसान को रोकने और उलटने के लिए एक समझौता किया था। इस कड़ी में भारत ने केंद्रीय बजट 2023 की सात प्राथमिकताओं में से एक हो ‘हरित विकास’ या ‘ग्रीन ग्रोथ’ का नाम दिया है।
- हरित विकास के लिए राष्ट्रीय मिशन का उद्देश्य निम्नीकृत भूमि या डीग्रेडेड लैंड पर वन-क्षेत्र को बढ़ाना, और मौजूदा वन-भूमि की रक्षा करना है।
- ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम का उद्देश्य कंपनियों, व्यक्तियों और स्थानीय निकायों को स्थायी और उत्तरदायी कार्रवाई के द्वारा पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रोत्साहित करना है।
- मैंग्रोव पहल का संबंध जलवायु परिवर्तन से मैंग्रोव और तटीय क्षेत्रों को होने वाले नुकसान के प्रति लोगों को जागरूक करना और उसे बचाना है।
- पीएम – पीआरएएनएएम कार्यक्रम का संबंध कृत्रिम खाद और कीटनाशकों के प्रयोग को कम करके कृषि को धारणीयता की ओर ले जाने से है।
- अमृत धरोहर योजना का उद्देश्य जैविक संपत्ति की रक्षा करना है। इसके लिए वेटलैण्डस का इष्टतम उपयोग, जैव विविधताओं, कार्बन-स्टॉक तथा इको-टूरिज्म में अवसर की बढ़ोत्तरी का उल्लेख किया गया है। अगर इस योजना का कार्यान्वयन सही ढंग से किया जाए, तो जलीय जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को पर्याप्त लाभ मिल सकता है। हाल ही में जलवायु मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के रामसर वेटलैण्ड में हैदरपुर की जल निकासी को रोककर प्रवासी जलपक्षी का संरक्षण किया है।
और क्या किया जाना चाहिए ?
- सरकार की अनेक योजनाओं और कार्यक्रमों की सफलता और इससे संबंधित विश्व स्तरीय कार्यक्रमों की प्रतिकृति के लिए विज्ञान आधारित और समावेशी निगरानी तंत्र बनाया जाना चाहिए।
- इन सभी में हमारी जैविक संपत्ति के पारिस्थितिकीयए सांस्कृतिक और सामाजिक पक्ष को समेटने वाली धारणीयता की आधुनिक अवधारणाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए।
- सभी कार्यक्रमों का उद्देश्य तंत्र की सीमाओं के भीतर प्राथमिकता पर लोगों को संसाधन और सेवाओं हेतु निधि उपलब्ध कराना होना चाहिए।
- हमारे आर्द्रभूमि पारिस्थितिक तंत्र का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि हम पानी की बचत करते हुए कैसे पारिस्थितिक प्रवाह को बचाए रख सकते हैं। इसके लिए कृषि-उपज में परिवर्तन और शहरी क्षेत्रों में पानी की रिसाक्लिंग में निवेश करना होगा।
- इस प्रकार के प्रत्येक प्रयास में स्थानीय और घुमंतु समुदायों को शामिल किया जाना चाहिए। कार्यान्वयन में इनके पारंपरिक ज्ञान को महत्व दिया जाना चाहिए।
- प्रत्येक कार्यक्रम में शैक्षिक और अनुसंधान का पक्ष शामिल होना चाहिए। जैविक संपत्तियों की रक्षा के लिए नेशनल मिशन ऑन बायोडायवरसिटी एण्ड ह्यूमन वेलबिंग को पीएम साइंस, टेक्नॉलॉजी एण्ड इनोवेशन एडवायजरी काउंसिल से स्वीकृति मिल चुकी है। इसे जल्द ही शुरू किया जाना चाहिए।
भारत और इसकी अर्थव्यवस्था को हरा-भरा करने के लिए इस मिशन को विभिन्न विषयों से संबंधित ज्ञान की शक्ति चाहिए। इसके साथ ही हम अपनी प्राकृतिक पूंजी को पुनस्थापित और समृद्ध कर सकेंगे।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित कमल बावा, रवि चेल्लम्, शैनन ऑलसन, जगदीश कृष्णस्वासी, नंदन नॉन और दर्शन शंकर के लेख पर आधारित। 23 फरवरी, 2023
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