न्यायालयों में डिजिटलीकरण

Afeias
20 Mar 2023
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पिछले कुछ समय से सरकार डिजटलीकरण पर लगातार जोर दे रही है। इसके मद्देनजर वर्जुअल बैरक और न्यायालयों की वर्चुअल सुनवाई भी आम हो चली है। पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय ने न्यायालय की कार्यवाही के लाइव ट्रांसक्रिप्शन की अनुमति प्रदान की है। मुख्य न्यायाधीश का ऐसा मानना है कि इस प्रकार की उपलब्धता से आम जनता, छात्रों और शोधकर्ताओं को लाभ मिल सकता है।

इतना ही नहीं, तकनीक के माध्यम से न्यायालयों ने अपने पुराने दस्तावेजों को डिजटलीकरण शुरू कर दिया है। बाम्बे उच्च न्यायालय ने लगभग सन् 1800 से लेकर अब तक के काफी रिकॉर्ड को डिजिटाइज कर दिया है। इसी कड़ी में ओडिशा उच्च न्यायालय ने 2022 के मध्य तक लगभग 5.2 लाख फाइलों को डिजिटाइज कर दिया था। गत माह, दिल्ली उच्च न्यायालय ने डिजिटाइज की गई न्यायिक फाइलों के ऑनलाइन निरीक्षण के लिए नया सॉफ्टवेयर अपलोड किया है।

कुल मिलाकर, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के ऐसे प्रयासों से कार्बन फुटप्रिंट को भी कम करने में मदद मिलती है। स्थायी और सुलभ न्याय व्यवस्था का लाभ सभी को मिलता है। लेकिन इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए आए दिन होने वाले साइबर हमलों से सुरक्षा-कवच प्राप्त किया जाना जरूरी है। इस दिशा में सतर्क रहने की जरूरत है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 24 फरवरी, 2023

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