बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की बिगड़ती स्थिति
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बांग्लादेश में लगातार अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। भारत का इससे चिंतित होना स्वाभाविक है।
कुछ बिंदु –
- बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्ता पलटने के बाद वहाँ कट्टरपंथी मुस्लिम समुदाय का शासन हो गया है।
- हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के बीच इस्कॉन मंदिर के एक पुजारी ने वहां के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा ध्वज फहरा दिया। साथ ही अल्पसंख्यकों से जुड़ी कुछ मांगें सरकार के सामने रखी थीं।
- इस पुजारी को गिरफ्तार करके, उस पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जा रहा है। आधुनिक लोकतंत्र में राजद्रोह कानून का कोई स्थान नहीं है।
- किसी भी लोकतंत्र में ऐसे कानून का होना, लोकतंत्र और स्वतंत्रता की कमी का संकेत है।
- साथ ही, किसी भी लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना अस्वीकार्य है। अमेरिका भी बांग्लादेश की इस स्थिति को लेकर चिंतित है।
- अच्छा है कि ढाका उच्च न्यायालय ने बांग्लादेश में ईस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने से मना कर दिया है। न्यायालय के इस कदम से आशा की एक किरण दिखाई दे रही है।
भारत को बांग्लादेश की नई युनूस सरकार के साथ संचार के द्विपक्षीय चैनलों को फिर से खोलने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही अपने देश में अल्पसंख्यकों को वही सुरक्षा और स्वतंत्रता देने का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए, जैसी कि वह विदेशों में वकालत करता है।
विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित। 29 नवंबर, 2024
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