
बड़ी कंपनियों की छंटनी का भारत पर कितना प्रभाव
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भारत पर इसका प्रभाव
इस सबसे ऊपर भारत में ई-कॉमर्स अभी भी सबसे तेजी से बढ़ रहा है। 2022-23 के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में कमी की आशंका के बावजूद हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में इसकी हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है। भारत के व्यापार का वातावरण सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहा है। टाटा और रिलायंस जैसी देशी कंपनियां, ई-कामर्स में अमेजॉन और फ्लिपकार्ट को कड़ी टक्कर दे रही हैं। वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों को बढ़ती जांच का सामना करना पड़ रहा है। फोन पे और गूगल पे को ऑनलाइन भुगतान में अपनी बाजार-हिस्सेदारी को कम करने की समय सीमा दे दी गई है। व्हाट्सएप की तरह अन्य पर दूरसंचार विभाग का अनुपालन बोझ बढ़ाया जा रहा है। इस वातावरण में अमेजॉन के कार्पोरेट बदलाव को समझा जा सकता है। हो सकता है कि वह भारतीय बाजार में दांव लगाने की नई लाभदायक गुजांइश तलाशने का प्रयत्न कर रहा हो।
बात यह है कि कोविड का दौर थमते ही शुरू हुई नई कंपनियों और स्टार्टअप से रोजगार की उम्मीदें बंधी हुई हैं। विडंबना यह है कि हमारे देश में सरकार पचहत्तर हजार से ज्यादा स्टार्टअप होने का दावा कर रही है। लेकिन उनमें नौकरियों का अकाल पड़ना शुरू हो गया है। इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए घरेलू कंपपियों को तेजी से विस्तार करना होगा। इससे ही संकट का कुछ समाधान हो सकता है।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 3 दिसंबर 2022