आयुष उद्योग को सबल बनाएं
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भारत में राष्ट्रीय आयुष मिशन की शुरूआत 2014 में की गई थी। 2014-2020 तक इस क्षेत्र में 17% की वृद्धि देखी गई है। यदि वैश्विक स्तर पर देखें, तो इस क्षेत्र में वृद्धि की बहुत गुंजाइश है। अभी चीन अपनी पारंपरिक दवाओं से बहुत लाभ कमाता है।
भारत में आयुष क्षेत्र की संभावनाओं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके विस्तार को निम्न कुछ बिंदुओं में देखा जा सकता है –
- सन् 2020 में हर्बल मेडिसीन का वैश्विक बाजार 657.5 अरब डॉलर था। सन् 2022 तक इसके 746.9 अरब डॉलर हो जाने की संभावना है।
- सन् 2018 में चीन का पारंपरिक दवा बाजार 37.41 अरब डॉलर का था, जिसके 2030 तक 737.9 अरब डॉलर तक हो जाने की संभावना है।
भारत में इस वित्तीय वर्ष तक इस उद्योग के 23.3 अरब डॉलर तक पहुँचने की संभावना व्यक्त की गई है। फिलहाल इसका बाजार 18.1 अरब डॉलर का है।
- चीन में पारंपरिक दवा बाजार को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। सन् 1982 में ही चीन के संविधान ने इसे पूरी मान्यता दे दी थी। सन् 2009 से ही सरकार की स्वास्थ्य नीतियों में इसे लगातार सहयोग दिया जा रहा है। चीन में आधुनिक दवाइयों के साथ ही पारंपरिक दवाइयों के विकास के लिए गुणवत्ता पूर्ण बुनियादी ढांचा बनाया गया है।
भारत में पारंपरिक दवाओं के लिए किए जाने वाले प्रयास
- सरकार ने इस क्षेत्र में महत्व को पहचानते हुए, इससे जुड़े एक मंत्रालय की स्थापना की है।
- नेशनल मेडीसिनल प्लांट बोर्ड का गठन किया गया है। यह राज्य मेडीसिनल प्लांट बोर्ड के साथ मिलकर काम करता है।
- मंत्रालय के अधीन मेडीसिनल प्लांट कम्पोनेंट को चिन्हित क्षेत्रों में लगाया जा रहा है। आयुष योजना में किसान की भूमि पर इन पौधों की खेती, नर्सरी की स्थापना, कटाई के बाद प्रबंधन, प्राथमिक प्रसंस्करण, विपणन आदि सभी को कवर किया जाता है। 140 औषधीय पौधों की खेती के लिए 30%, 50% और 75% की सब्सिडी प्रदान की जाती है।
कमियां कहाँ हैं और उपाय क्या हैं ?
- औषधीय पौधों के लिए बने बोर्ड के पास संरक्षण, खेती, शोध-अनुसंधान, हर्बल गार्डन और नर्सरी, विपणन और व्यापार के विशेषज्ञ होने चाहिए।
- व्यापार, उत्पादों और कच्चे माल पर व्यापक डेटाबेस विकसित करने की आवश्यकता है।
- भारतीय चिकित्सा की स्वदेशी प्रणाली के उत्पादों, हर्बल उत्पादों और औषधीय पौधों के उत्पादों को विशिष्ट कोड के तहत चिन्हित किया जाना बाकी है।
- हार्मोनाइज्ड सिस्टम की राष्ट्रीय लाइनों का विस्तार किया जाना है, ताकि व्यापार बढ़ाया जा सके।
नीति आयोग ने एकीकृत चिकित्सा पर एक समिति और चार कार्य समूहों का गठन किया है। इसमें देशभर के 50 से अधिक विशेषज्ञ हैं, जो शिक्षा, अनुसंधान, नैदानिकी, सार्वजनिक स्वास्थ्य और प्रशासन के क्षेत्रों में गहराई से काम कर रहे हैं।
इन सबसे ऊपर प्रधानमंत्री द्वारा जामनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन के तत्वाधान में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडीशनल मेडिसिन की नींव रखना है।
भारत का आयुष उद्योग न केवल भारत बल्कि विश्व के अनेक देशों को किफायती चिकित्सा का लाभ दे सकता है। इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित राजीव कुमार, वैद्य राजेश्वरी सिंह और रविन्द्र प्रताप सिंह के लेख पर आधारित। 2 मई, 2022