असम में हुआ वर्तमान शांति समझौता
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असम में अलगाववादी समूहों की गतिविधियों की वजह से पूर्वोत्तर राज्यों की स्थितियां बहुत जटिल रही हैं। इसे सुलझाने की कोशिशों को हाल ही में सफलता मिली है। असम में सक्रिय यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट या उल्फा के एक गुट के साथ केंद्र और असम सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय शांति समझौता हुआ है। कुछ महत्वपूर्ण बिंदु –
- पिछले चार दशकों में पहली बार सशस्त्र उग्रवादी संगठन उल्फा के किसी समूह के साथ एक शांति समझौते के मसौदे पर हस्ताक्षर हुए हैं।
- उल्फा की अलगाववाद की मांग की जड़ में जिस तरह के सवाल थे, सरकार ने उन मुद्दों पर काम किया है। असम के विकास को लेकर अनेक कदम उठाए गए। लेकिन राज्य के अलग-अलग खेमों में काम कर रहे उग्रवादी गुटों के बीच असंतोष बना रहा। इसी मुद्दे को केंद्र में रखते हुए केंद्र सरकार ने असम को एक बड़ा विकास पैकेज देने की घोषणा की है। साथ ही मसविदे के प्रत्येक खंड को पूरी तरह से लागू करने का आश्वासन दिया है।
- सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि राज्य के लोगों की सांस्कृतिक विरासत बरकरार रहे। लोगों को बेहतर रोजगार के साधन मुहैया कराए जा सकें।
- सशस्त्र आंदोलन की राह छोड़ने वाले उल्फा के सदस्यों को मुख्यधारा में लाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
इन सबके साथ असम की चुनौतियां अभी बाकी हैं। परेश बरूआ के नेतृत्व वाला उल्फा इस समझौते का हिस्सा नहीं है। इसके बावजूद, उल्फा के ही एक प्रभावशाली समूह के साथ बनी शांति की स्थिति से विकास की राह आसान हो जाती है। स्थिरता और विश्वास में निरंतरता से लोगों में आशा पैदा होगी।
विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित। 01 जनवरी, 2024
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