आशा कार्यकर्ताओं के लिए बजती करतल ध्वनि

Afeias
20 Jun 2022
A+ A-

To Download Click Here.

समाज में पहचान और मान्यता अक्सर शीर्ष पर बैठे लोगों को मिलती है। पायदान के निचले हिस्से में काम करने वालों के लिए यह दुर्लभ है। परंतु हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) और अफगानिस्तान के पोलियो कार्यकर्ताओं को मान्यता देकर शायद इस दुर्लभ को प्राप्य बना दिया है। इससे सिद्ध होता है कि जहाँ देय है, वहाँ श्रेय है।

वर्ल्ड हैल्थ एसेंबली के उद्घाटन सत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रगेस अदनोम घेबियस ने जब छह ग्लोबल हैल्थ लीडर अवार्ड प्राप्त करने वालों के साथ, दस लाख से अधिक आशा कार्यकर्ताओं और आठ पोलियो स्वयंसेवकों के बारे में चर्चा की, तो यह उनके लिए बहुत ही गर्व और खुशी का क्षण रहा। पुरस्कार विजेताओं को चुनने वाले डॉ० टेड्रोस ने पुरस्कार से उन लोगों को सम्मानित किया है, जिन्होंने दुनिया भर में स्वास्थ्य की रक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में उत्कृष्ट योगदान दिया है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया असमानता, संघर्ष, खाद्य सुरक्षा तथा जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौतियाँ का सामना कर रही है।

‘आशा’ को स्वास्थ्य प्रणाली के साथ समुदाय को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए सम्मानित किया गया है। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए भी कि ग्रामीण गरीबी में रहने वाले लोग प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुंच सकते हैं। इन प्रयासों के लिए इन कार्यकर्ताओं को उत्पीड़न और हिंसा का सामना करना पड़ा है।

दुनिया भर के कई महाद्वीपों में कुछ प्रकार के बुनियादी सार्वजनिक कार्य खतरों से भरे हुए हैं। सरकारी एजेंसियों का कर्तव्य है कि वे उनके कल्याण और सुरक्षा को सुनिश्चित करने की व्यवस्था करें। पुरस्कार का उत्सव मनाते हुए यह मायने रखता है कि भारत सरकार अपने निचले पायदान के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कैसे सहेजती है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 25 मई, 2022