एक्ट ईस्ट को साकार करता भारत
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परिचय –
इस साल भारत की एक्ट ईस्ट नीति यानि पूर्वी डोर को साधने की पहल के दस वर्ष पूरे होने के कारण आसियान शिखर सम्मेलन बहुत अहम है। वर्ष 2014 में मोदी सरकार ने 1992 की लुक ईस्ट नीति को एक्ट ईस्ट नीति में बदला था।
एक्ट ईस्ट से संबंधित कुछ तथ्य –
- एक्ट ईस्ट के तहत भारत ने व्यापार, सैन्य और सांस्कृतिक कार्यक्षेत्रों में द.पूर्वी एशिया उ.प्र एशिया तथा ओशनिया के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाया है।
- भारत अब पूर्वी एशिया में बड़ी भूमिका निभा रहा है। पहले यहाँ सिर्फ चीन और अमेरिका को निर्णायक शक्ति माना जाता था।
- आस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट्यूट नामक शोध संस्थान ने 2024 के एशिया शक्ति सूचकांक में अमेरिका और चीन के बाद भारत को सबसे शक्तिशाली दर्जा दिया है।
- चीन ने विस्तारवादी नीति के कारण छोटे देशों में दहशत का माहौल बना रखा है इसीलिए भारत के साथ अमेरिका की रक्षा भागीदारी जरूरी है। क्वाड भी भारत की एक्ट ईस्ट नीति के कारण क्वाड भी उसके लिए आवश्यक है।
- भारत में आसियान देशों में चीन के अधिक निवेश के कारण क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसेप) नही की है। वही भारत इंडो-पैसेफिक आर्थिक ढाँचें का संस्थापक सदस्य है।
- एक्ट ईस्ट ने भारत के रक्षा मुद्दे को अधिक उभारा है और हिंद प्रशांत में नए त्रिकोणीय समीकरणों का सृजन किया है; जैसे – भारत-इंडोनेशिया-आस्ट्रेलिया, भारत-फ्रांस-आस्ट्रेलिया और भारत-सिंगापुर-थाइलैंड।
इस नीति के कारण एशिया-प्रशांत हिंद प्रशांत में तब्दील हुआ है, अब इस अवधारणा को सफल बनाने के लिए भारत को अपनी हिंद-प्रशांत सागर पहल और अन्य देशों के बीच हिंद प्रशांत दृष्टिकोणों के बीच तालमेल बैठाना होगा।
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