ए आर सी का अधिकार क्षेत्र बढ़ाया जाए
Date:04-08-21 To Download Click Here.
बजट 2021-22 में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों को संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी या एसेट रिकन्स्ट्रशन कंपनियों (ए आर सी) के गठन का प्रस्ताव दिया गया था। इन कंपनियों का लक्ष्य बैंकों की गैर निष्पादित संपत्ति को लेकर उसका प्रबंधन करना था। दूसरे शब्दों में, इसे सरकार का ‘बैड बैंक’ कहा जा सकता है। इन कंपनियों के माध्यम से बैंक अपना काम सामान्य रूप से करने में सक्षम हो सकते हैं। हाल ही में आर बी आई ने दिवालिया कानून के अंतर्गत इन कंपनियों के बैड लोन के समाधान की भूमिका पर पुनर्विवेचना हेतु एक समिति का गठन किया है। इस सम्बन्ध में कुछ तथ्य –
- विनिमय की बेडियों को हटाया जाना चाहिए, ताकि ये कंपनियां विफल कंपनियों की दबावग्रस्त संपत्ति को आसानी से खरीद सकें।
- समिति को चाहिए कि इन कंपनियों को एक कारपोरेट इकाई के रूप में पुनर्परिभाषित करने की सिफारिश करे, क्योंकि ये कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत आती हैं, और वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुननिर्माण और सुरक्षा हित प्रवर्तन (सरफेसी) अधिनियम के दायरे से बाहर हैं।
- कंपनियों को वित्तीय परिसंपत्तियों को खरीदने और बेचने तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए। बल्कि बैड लोन की अंतर्निहित संपत्तियों को भी खरीदने और बेचने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। आर बी आई ने इसे भले ही अस्वीकार किया हो, परंतु सरफेसी अधिनियम की धारा 5(3) के अनुसार ऋणदाता के बैड लोन लेने वाले को ऋणदाता के ऋण संबंध से जुड़े अधिकार भी स्थानांतरित किए जाने चाहिए।
एसेट रिकन्स्ट्रक्शन कंपनियों का काम बैड लोन का समाधान करना है। इसलिए इन कंपनियों को केवल बैड लोन तक सीमित रखना तर्कहीन है। एयरसेल की संपत्ति खरीदने के लिए यूवी एसेट कंपनी की योजना के लिए आरबीआई की अस्वीकृति इसका उदाहरण है।
बैड लोन के समाधान में समय लगता है। इसलिए इसे धैर्यवान पूंजी समूह को सौंपा जाना चाहिए, जो अपनी योजना से अधिकांश रिकवरी कर सके।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 14 जुलाई, 2021
SARFAESI, Act 2021 –
The Securitization and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest.
इस कानून का संबंध कोर्ट के हस्तक्षेप के बिना डूबने वाली संपत्ति की व्यवस्था करने से है। यही कानून भारत में ARC के गठन के लिए आधार प्रदान करता है।