सौर ऊर्जा के बढ़ते कदम

Afeias
03 Jun 2020
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Date:03-06-20

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वर्षों से सौर ऊर्जा को एक शक्तिशाली वैकल्पिक स्रोत के रूप में माना जाता रहा है। हाल के कुछ वर्षों में सोलर पैनल की कीमत में आई गिरावट के साथ ही इस ऊर्जा स्रोत का भविष्य सुनहरा दिखाई पड़ने लगा था। ज्ञातव्य हो कि समय के हिसाब से केवल 30% सौर ऊर्जा ही उपलब्ध हो पाती है। रात और बादलों के दौरान इसे काम में नहीं लाया जा सकता , जबकि कोयला आधारित ऊर्जा 80% उपलब्धं होती है।

अब स्थितियां बदल रही हैं। भारत में सौर ऊर्जा निष्पादन को दिन के समय थर्मल ऊर्जा की तुलना में प्राथमिकता दी जाने लगी है। इस प्राथमिकता की सार्थकता भी है, क्योंकि इसे चलाने में कोई लागत नहीं लगती। जबकि थर्मल पॉवर में ईंधन पर लागत आती है। बढ़ते सौर ऊर्जा उत्पादन के चलते एक समय 75% चलने वाले थर्मल पॉवर को अब 55-58% ही काम में लाया जा रहा है।

हाल ही में 400 मेगावट के सौर ऊर्ज प्लांट की नीलामी की गई है, जिसे रिन्यू। पॉवर ने प्राप्त किया है। इस पर 15 वर्षों तक 3.52 रुपये प्रति यूनिट की दर से प्राप्त की जा सकती है, वहीं थर्मल पॉवर पर यह दर 4.5 रुपये प्रति यूनिट तय है। इस सौदे में रिन्यूर पॉवर को पूरे वर्ष लगभग 80% सौर ऊर्जा उपभोग के हिसाब से भंडारण रखना होगा। एक माह में यह क्षमता 70% से कम नहीं होनी चाहिए। इससे 24 घंटे बिजली प्राप्त नहीं की जा सकती, परन्तु यह थर्मल पॉवर की तुलना में सस्ता  है।

इस जरूरत के लिए रिन्यूल पॉवर, लिथियम-आयन स्टोरेज बैटरी का इस्तेमाल करेगी। दिन के समय इसमें सौर ऊर्जा को एकत्र करके इसका प्रयोग रात में भी किया जा सकेगा। यह वही बैटरी है, जिसे टेस्ला कंपनी अपनी इलैक्ट्रिक कार में उपयोग करती है।

भारतीय सौर ऊर्जा कंपनियों की सबसे बड़ी मुसीबत ब्याज दर है। इस प्रकार के उच्च लागत वाले उद्योग में बैंकों से ऊँची ब्याज दर पर ऋण लेना भारी पड़ रहा है। इन उद्योगों को पॉवर फाइनेस कार्पोरेशन और रूरल इलैक्ट्रिफिकेशन कार्पोरेशन जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों से 10-11% की दर पर ब्याज लेना पड़ता है। वहीं मिडिल ईस्ट में यह ब्याज दर 4% है। अगर भारत में भी इसे अपना लिया जाए, तो सौर ऊर्जा की दर 2 / यूनिट आ जाएगी। भारत को इस बारे में जल्द से जल्द कदम उठाने चाहिए।

विश्व बैंक अब कोयला आधारित प्लांट के लिए ऋण प्रदान नहीं करता हैए परन्तुं नवीनीकृत ऊर्जा के लिए कर सकता है। इसे कई माध्यमों से भारत के सौर ऊर्जा उद्योगों के लिए प्राप्त् किया जा सकता है। इससे भी ब्याज दर में भारी कमी आ सकती है।

कोयला आधारित थर्मल पॉवर की जरूरत तब भी रहेगी, परन्तु कम रहेगी। इस बीच अपर्याप्त क्षमता वाले थर्मल प्लांट को उपयोगी बनाया जा सकता है। इससे उनमें कार्बन डाइ ऑक्साइड , सल्फंर, पारा , पार्टिकूलेट मैटर एवं अन्य प्रदूषण कणों को नियंत्रित किया जा सकेगा। सरकार को कार्बन उत्सर्जन पर कर बढ़ाने की भी आवश्यकता नहीं होगी।

भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल है। इसके लिए सरकार प्रयासरत भी है। उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में इसका बोलबाला होगा।

‘द टाइम्स‍ ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित स्वामीनाथन एस.अक्लेश्वर अय्यर के लेख पर आधारित। 24 मई 2020