सुंदरवन के पुनरुद्धार का प्रयत्न
Date:17-10-19 To Download Click Here.
मानवजनित गतिविधियों ने भारत के एक प्रमुख विश्व धरोहर-सुंदरवन को अत्यधिक हानि पहुँचाई है। एक अध्ययन में सुंदरवन के 19 मैनग्रोव टुकड़ों से नमूने एकत्र किए गए, और उन पर शोध किया गया। परिणाम में सामने आया कि आवश्यक पोषक तत्वों की कमी और बढ़ता लवणीकरण ही सुंदरवन के नष्ट होते जाने का कारण है।
कुछ तथ्य
- वन क्षेत्र के कम होने में फॉस्फोरस और नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्वों की कमी को मुख्य कारण बताया गया है।
- प्रजातियों के फैलाव में बदलाव देखा गया। सुंदरवन में पाई जाने वाली प्रमुख पौध प्रजातियां बढ़ते लवणीकरण के कारण टिक नहीं पा रही हैं।
पुनरुद्धार का प्रयत्न
- निम्नीकृत क्षेत्रों में घास की चार ऐसी प्रजातियां लगाई गईं, जो बढ़ते लवण की मात्रा को अवशोषित कर सकें। इसके परिणामस्वरूप पाँच वर्षों में करीब एक हेक्टेयर क्षेत्र का उद्धार किया जा सका है।
- इस घास प्रकंद से मैनग्रोव को बल मिला। इस रूट जोन से कीटाणुओं का क्षरण हुआ, और मृदा को पोषक तत्व मिले।
- इस घास से हाई एनर्जी लहरों और मृदा क्षरण से बचाव हो सका।
- यहाँ कुछ ऐसे देशी बैक्टिरीया का भी प्रयोग किया गया, जो पौध को बढ़ाने में मदद करते हैं। इससे निम्नकोटी भूमि को समृद्ध किया जा सका।
- पौधों की लवण अवशोषित करने वाली प्रजातियों को समुद्री किनारों पर लगाया गया। मध्यम स्तर पर लवण अवशोषित करने वाली प्रजातियों को दूरी पर रोका गया।
इस प्रकार से इस मैनग्रोव की 22 ऐसी प्रजातियों का उद्धार किया गया, जो विलुप्ति के कगार पर थीं।
सुंदरवन ऐसा मैनग्रोव या सदाबहार वन क्षेत्र है, जो गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के संगम क्षेत्र में फला-फूला है। इसका विस्तार पश्चिम बंगाल की हुगली नदी से लेकर बांग्लादेश की बालेश्वर नदी तक है। भारत के लिए इस क्षेत्र का बहुत महत्व है, और इसका पुनरुद्धार करना आवश्यक है। यह क्षेत्र अनेक स्थानीय रहवासियों की आजीविका का स्रोत है। यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित होने के कारण इसकी सुरक्षा और बचाव भारत के लिए बहुत जरूरी है।
‘द हिन्दू’ में प्रकाशित अश्वथी पाचा के लेख पर आधारित। 29 सितम्बर, 2019