वॉलमार्ट का लाभ

Afeias
20 Aug 2018
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Date:20-08-18

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कुछ समय पहले अमेरिका की दिग्गज रिटेल कंपनी वॉलमार्ट द्वारा फ्लिपकार्ट के अधिग्रहण के प्रति कई भारतीयों का नकारात्मक दृष्टिकोण था। अर्थशास्त्रियों ने इस घटना की चीन से तुलना की और कहा कि अब भारत भी एक विश्वव्यापी और शक्तिशाली सप्लाई चेन से जुड़ जाएगा। इससे भारतीय निर्यात बढ़ेगा, विदेशी निवेश बढ़ेगा। साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। कुछ मायनों में अर्थशास्त्रियों के अनुमान सत्य से होते प्रतीत होते हैं।

  • भारत में अमेरिकी कंपनी अमेजॉन का ई-कॉमर्स के क्षेत्र में प्रभुत्व है। वॉलमार्ट के आने से उसके लिए एक शक्तिशाली प्रतियोगी आ खड़ा हुआ है। इसके चलते वह अपनी व्यवस्था और उत्पादों में श्रेष्ठता प्राप्त करने का प्रयत्न करेगी। इसका लाभ भारतीयों को मिलेगा। वॉलमार्ट के पास 28 देशों में अपना कोल्ड चेन है। इसके पास अपने कोल्ड स्टोरेज और रेफ्रीजरेटेड वाहनों की कमी नहीं है। अतः वह तुलनात्मक रूप से अधिक ताजा फल, सब्जियाँ घर तक पहुँचा सकती है। यह सुविधा अमेजॉन के पास नहीं है। भारत में रिलायंस ने भी इसकी शुरूआत की थी। परन्तु वह असफल रही।
  • किराना दुकान वालों के लिए भी वॉलमार्ट के पास आकर्षक योजना है। वॉलमार्ट के पास 21 थोक वाले गोदाम हैं, जो भारतीय रिटेलरों को सप्लाई करते हैं। इनमें से कुछ को वॉलमार्ट अपना पार्टनर बनाना चाहता है। इससे भारतीय उपभोक्ताओं के घर तक अपना सामान पहुँचाने में वॉलमार्ट को सुविधा होगी। दूसरी ओर, हमारी किराना दुकानों को सूची प्रबंधन, डिजीटल भुगतान और लॉजिस्टिक तकनीक में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
  • वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट के इस समझौते का प्रभाव भारत में रोजगार के क्षेत्र पर भी पड़ेगा। वॉलमार्ट ने भारत के मझोले एवं लघु उद्यमों से 4-5 अरब डॉलर प्रतिवर्ष के निर्यात का लक्ष्य रखा है। समय के साथ यह रोजगार के अवसरों में वृद्धि की मांग करेगा। इस प्रकार लगभग एक करोड़ रोजगार के नए अवसर पनपने की उम्मीद है। चूंकि वॉलमार्ट अपनी विश्वव्यापी चेन में भारतीय सप्लाई के लिए 96 प्रतिशत स्थानीय स्त्रोतों पर ही निर्भर करेगा। अतः लॉजिस्टिक, कोल्ड चेन, वेयर हाऊस वितरण और सामान पहुँचाने के लिए उसे कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ेगी।
  • अभी हमारे देश में उत्पादक से लेकर उपभोक्ता तक कई मध्यस्थ काम करते हैं, जिससे उत्पाद की कीमत बढ़ जाती है। इस बढ़ी हुई कीमत का लाभ किसान को नहीं मिल पाता। यह मध्यस्थों के बीच ही बंट जाती है। अध्ययन यह बताता है कि जिन देशों में बड़े-बड़े सुपर मार्केट हैं, वहाँ उत्पादक से लेकर उपभोक्ता के बीच का अंतर कम है, क्योंकि वहाँ किसानों का बड़ी-बड़ी कंपनियों से लंबी अवधि के लिए कांट्रैक्ट हो जाता है। इस प्रकार उन्हें भी उत्पाद की ज्यादा कीमत मिलती है। दूसरी ओर उपभोक्ता को भी उत्पाद सस्ता मिलता है। भारत में वॉलमार्ट के आने से मण्डी के आढ़तियों और थोक व्यापारियों को नुकसान होगा। ऐसा नहीं कि हमारी सरकार मण्डी में व्याप्त भ्रष्टाचार का संज्ञान नहीं लेती। उसने कृषि उत्पाद विपणन समिति (ए पी एम सी) का गठन इसी उद्देश्य से किया था। परन्तु कुछ ही राज्यों में यह लागू हुआ। सरकार ने ई-नाम की भी शुरूआत की है ताकि जिससे किसानों को आसपास की मण्डियों के भावों की जानकारी मिलती रहे। परन्तु यह भी विफल होता दिख रहा है।
  • वॉलमार्ट जैसे बड़े रिटेलरों का उद्देश्य कोल्ड स्टोरेज, रेफ्रीजरेटैड ट्रक और ग्रेडिंग सुविधाओं का जाल बिछाकर, किसानों के खाद्यान्न को सुरक्षित रखने या प्रसंस्करण करने वालों तक पहुँचाना है। भारत में अन्न को नष्ट होने से बचाना एक बड़ी समस्या रही है। वॉलमार्ट के आने से इसमें कमी आने की उम्मीद की जा सकती है।

फिलहाल, वॉलमार्ट को कुछ ही राज्यों में प्रवेश मिला है। सरकार को चाहिए कि किसानों को भ्रष्ट तंत्र से बचाकर उनकी आय दुगुनी करने के लिए राज्यों को ए पी एम सी अपनाने की सलाह दे या विश्व की बड़ी रिटेल कंपनियों के माध्यम से किसानों को लाभ पहुँचाए।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित गुरचरण दास के लेख पर आधारित। 17 मई, 2018