भारत की डिजीटल विकास पर एक नजर

Afeias
01 Apr 2019
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Date:01-04-19

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भारत में डिजीटल ढांचे का बुनियादी विकास तेजी से हुआ है, और वह भी बहुत ही कम समय में। इससे वित्तीय व अन्य प्रकार के लेन-देन में बहुत सुविधा हो गई है। इस ढांचे पर खड़ी होने वाली भविष्य की इमारत से अनेक महत्वपूर्ण एवं सफल परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

  • इस ढांचे की बुनियाद तीन मुख्य मंचों पर टिकी है। इसमें पहला जन धन योजना है, दूसरा आधार बायोमिट्रिक पहचान और तीसरा मोबाइल टेलीफोनी है।
  • इसी कड़ी में पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम (पी एफ एम एस) और यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यू पी आई) दो मुख्य स्तंभ हैं।
  • पी एफ एम एस एक ऐसा साधन है,जो प्रोसेसिंग, ट्रैकिंग, मॉनिटरिंग, एकांउंटिंग और वित्तीय लेखा-जोखा रखने में केन्द्र सरकार की तो मदद करता ही है, व्यापारियों और भारतीय परिवारों के लिए सुविधाजनक भी है। इसके माध्यम से केन्द्र सरकार को राज्यों तक वित्तीय सहायता देने के लिए सुगम मार्ग मिल गया है।
  • नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा बनाया गया यू पी आई एक ऐसा साधन है, जिसमें दो बैंक खातों के बीच त्वरित लेन-देन संभव हो जाता है। फरवरी 2019 तक 134 बैंक इस मंच से जुड़ चुके हैं। अतः इससे लगभग सभी प्रकार के बैंक खाते जुड़े हुए हैं। इसके लिए कोई शुल्क भी नहीं लिया जाता है। क्रेडिट कार्ड के लिए लिए जाने वाले शुल्क को देखते हुए भविष्य में यूपीआई के व्यापक होने की संभावना अधिक है।
  • निजी क्षेत्र में भी डिजीटल ट्रांसफर के लिए अपने वॉलेट बना लिए गए हैं, या फिर वे यू पी आई से लेन-देन को प्राथमिकता देते हैं। निजी कंपनी के द्वारा तैयार पे टी एम वॉलेट इसका एक सशक्त उदाहरण है। इसके 30 करोड़ पंजीकृत उपभोक्ता हैं, जिसमें 8 करोड़ सक्रिय हैं।
  • भारत के डिजीटल ढांचे में वस्तु एवं सेवा कर भी मुख्य और महत्वपूर्ण सिद्ध हो रहा है। फिलहाल इस नेटवर्क से 2 करोड़ पंजीकृत करदाता जुड़े हुए हैं। इससे प्राप्त सूचना के आधार पर बैंक ऋण का भी मूल्यांकन कर सकते हैं। तीन महीने से भी कम समय में इस मंच के माध्यम से 30 करोड़ रुपये के लगभग का ऋण अनुमोदित किया जा चुका है।
  • डिजीटल लॉकर, ई-नाम और उमंग भी सरकारी ढांचे को मजबूत करने के लिए बनाए गए तीन आधार हैं।
  • भारत नेट ने एक लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को वाई-फाई से जोड़ने के लिए केबल उपलब्ध करा दिया है, और 41 हजार से अधिक पंचायतों में वाई-फाई लगा भी दिया है।
  • भारत में कम लागत पर काम करने वाले कई अन्वेषण होते हैं। ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए आई ब्रेस्ट एक्जाम नामक उपकरण निकाला गया है, जिससे लगभग एक डॉलर की कीमत में परीक्षण संभव है। लेकिन हमारे डिजीटल तकनीक से संबंधित कोई भी नए उत्पाद व्यावसायिक दृष्टि से इतने सफल नहीं बन सके कि यूनीफार्म का दर्जा प्राप्त कर सकें।

यही एक क्षेत्र है, जहाँ हम पीछे छूट रहे हैं। अन्यथा हाल के वर्षों में हमारी डिजीटल प्रगति अभूतपूर्व रही है। भविष्य में हमें विदेशी तकनीकों और पूंजी के बहाव को बनाए रखना होगा। तभी हमारी भी प्रगति संभव है।

‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अरविंद पन्गढ़िया के लेख पर आधारित। 6 मार्च, 2019

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