भारत-अमेरिका : महत्वाकांक्षाए और उपलब्धियां

Afeias
22 Jan 2021
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Date:22-01-21

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संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के विस्तृत , जटिल और कई अर्थों में समृद्ध द्विपक्षीय संबंधों जैसा अन्य कोई संबंध पूरे विश्व में नहीं है। ये दोनों ही देश निवेश , ऊर्जा , साइबर सुरक्षा जैसे न जाने कितने पहलुओं पर एक-दूसरे का सहयोग करते हैं। पिछले दो दशकों से चलने वाली दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को बीते चार वर्षों में नई ऊंचाइयां मिली हैं। इस साझेदारी और सहयोग के कुछ मुख्य बिंदुओं पर नजर डाली जानी चाहिए .

  • दोनों देशों के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र का बहुत महत्व है। अमेरिका के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में होने वाले बड़े परिवर्तन और चुनौती के समय, भारत को शांति और समृद्धि के संरक्षण और विस्तार में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखना एक जरूरत है।

दोनों देशों ने इस क्षेत्र के ढांचे को अपने अनुकूल विकसित करने के लिए आसियान देशों को केंद्र बनाकर 2018 और 2019 में जापान के साथ त्रिपक्षीय शिखर बैठकें और 2019-20 में जापान व आस्ट्रेलिया के साथ चतुर्भुजीय बैठकें की हैं। इनमें समुद्री सुरक्षा, महामारी-प्रबंधन आदि विषयों पर सहयोग के लिए चर्चा की गई है।

  • दोनों ही लोकतंत्र, शांति और कूटनीति के लिए प्रतिबद्ध हैं। पिछले चार वर्षों में दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को कई मायनों में मजबूत किया है। मंत्री स्तर के कई रक्षा समझौते किए गए हैं। 2019 में आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर पहली बार संयुक्त सैनिक अभ्यास किया गया। भारत के लिए यह सबसे मजबूत रक्षा संबंध है, और अपनी सीमाओं पर चीनी आक्रमकता के समय यह हौसला देने वाला है।
  • आर्थिक और निवेश सहयोग पर काम किया जा रहा है। इसे अभी और ऊपर जाना है। 2019 में सेवा एवं वस्तु क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार में असाधारण बढ़ोत्तरी हुई है। भारत के कुल निर्यात का 16% अमेरिका को जाता है। अमेरिका ही भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। अमेरिका ही वह एकमात्र देश है, जो भारतीयों के लिए बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर, टैक्नॉलॉजी डिफ्यूजन और आर्थिक विकास उपलब्ध कराता है।
  • सहयोग का एक अन्य स्तंभ ऊर्जा क्षेत्र है। 2018 में दोनों देशों ने रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी की शुरुआत की थी। 2019 तक अमेरिकी कोयले के निर्यात का सबसे बड़ा, क्रूड का चौथा और तरल प्राकृतिक गैस का 7वां बड़ा केंद्र भारत बन चुका था। फिलहाल 100 से अधिक अमेरिकी कंपनियां भारत के ऊर्जा क्षेत्र में काम कर रही हैं।
  • स्वास्थ और बायोमेडिकल नवाचार का क्षेत्र दोनों देशों की प्राथमिकता सूची में है। कोविड-19 महामारी के दौर में अमेरिकी डिसीज कंट्रोल एण्ड प्रिवेन्शन केंद्रों ने भारत को सलाह-मशविरा व दिशानिर्देश देते हुए लगातार सहयोग किया। वैक्सीन और कोविड के उपचार के लिए भी दोनों देशों के वैज्ञानिकों ने साथ मिलकर काम किया है।

भारत और अमेरिका जैसे बड़े लोकतंत्रों में सरकार जन-संवेदना को सुनती-समझती है। यह हमारे रिश्तों की बुनियाद को मजबूत रखे हुए है। दोनों देशों के नेताओं ने इस बात को समझ लिया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र और मुक्त रखने के लिए आपसी सहयोग नितांत आवश्यक है। इसी पथ का अनुसरण करते हुए यू. एस. इंडिया कांप्रिहेन्सिव ग्लोबल स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप को मजबूत, सकारात्मक और उर्ध्वगामी रखा जा रहा है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ इयान जस्टर के लेख पर आधारित। 5 जनवरी, 2021