जी-7 समूह में भारत का और भारत के लिए जी-7 का क्या महत्व है ?

Afeias
29 Jun 2021
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Date:29-06-21

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हाल ही में जी-7 समूह के देशों का शिखर सम्मेलन ब्रिटेन के कॉर्नवाल में आयोजित किया गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, यू.के. , कनाडा, इटली, जर्मनी और जापान जैसे सात विकसित देशों के इस समूह के इस बार के अध्यक्ष यू.के. ने भारत, आस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका को अतिथि के रूप में सम्मेलन में आमंत्रित किया था। इस वर्ष की बैठक में चीन की वन बेल्ट-रोड परियोजना को टक्कर देते हुए, ‘बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड’ का नारा दिया गया है, जिसके अंतर्गत भविष्य में आने वाली महामारियों के खिलाफ लड़ने के लिए स्वास्थ-व्यवस्था को मजबूत करना ; कोरोना वायरस से लड़ना; मुक्त और निष्पक्ष व्यापार का समर्थन करके भविष्य की समृद्धि को बढ़ाना; जलवायु परिवर्तन से निपटना और पृथ्वी की जैव विविधता का संरक्षण आदि विषय शामिल किए गए हैं।

क्या है जी-7 संगठन ?

वर्ष 1973 में आए तेल संकट के चलते छः देशों के इस संगठन की शुरूआत की गई थी। मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र, कानून का शासन, सतत विकास और समृद्धि जैसे मुद्दों पर काम करने वाले इस संगठन में कनाडा को बाद में शामिल किया गया था। बदलती स्थितियों के साथ सात बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अब इटली और कनाडा की जगह भारत और चीन आ चुके हैं।

फिलहाल, अमेरिका के नेतृत्व में चल रहे समूह में भारत और चीन को शामिल नहीं किया गया है। रशिया को बैठकों में आमंत्रित किया जाता रहा है, परंतु 2014 में क्रीमिया के अधिग्रहण के बाद से उसे छोड़ दिया गया।

वर्तमान में जी-7 का महत्व

वैश्विक स्तर पर आर्थिक सहयोग के लिए समूह के देशों की संख्या पर्याप्त नहीं है। इसके चलते 2008 में विश्व की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह जी-20 बनाया गया था। फिलहाल जी-7 समूह अपने विचार जी-20 समूह के समक्ष रखता है, जिन्हें आगे आईएमएफ और डब्ल्यू एच ओ जैसी वैश्विक एजेंसियों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।

जी-7 समूह में भारत की उपस्थिति

चीन के पड़ोसी देश होने के नाते जी-7 समूह देशों के लिए भारत का खासा महत्व है। इसी कारण से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के क्वाड समूह में भारत को शामिल किया गया है। इस पूरे प्रकरण में भारत की स्थिति अहम है, क्योंकि वह चीन के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है। उससे जन्में विवादों से निपटता है। एशिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत का स्थान है।

समूह के कार्य एवं उसकी सार्थकता –

  • कार्पोरेट कर में परिवर्तन कर उसे बढ़ाने पर सहमति।
  • निर्धन देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराने का निर्णय।
  • तरलता और वित्तीय सहयोग से कोविड पश्चात् आर्थिक रिकवरी।
  • अधिनायकवादी शासन चला रहे चीन जैसे देशों को चेतावनी देना।

विश्व स्तर पर भारत की भूमिका इसलिए अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि वैक्सीन की वैश्विक जरूरतों को पूरा करने में जी-7 समूह के देश कोई बड़ा काम नहीं कर सके। जबकि भारत इसमें सक्षम है। इस मौके पर वह विश्व के बायोटेक दिग्गजों को भारत में स्टार्टअप सेट अप करने का आमंत्रण देकर अपना और विश्व, दोनों का भला कर सकता है।

दूसरे, जी-7 समूह में कर अधिकारों के एक समान आवंटन पर जो सहमति व्यक्त की है, उसका लाभ भारत को मिलेगा। अभी तक प्रौद्योगिकी और इंटरनेट कंपनियों सहित अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियां, वैश्विक कर प्रणाली की असमानता का फायदा उठाती रही हैं। लेकिन अब इन पर भारत में कर-वृद्धि की जा सकती है, जिससे लाभ मिलेगा। हालांकि अभी भी कई असमानताएं रह जाएंगी, लेकिन उम्मीद की जा सकती है कि आगामी बैठकों में इन पर चर्चा कर इन्हें दूर किया जा सकता है।

विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित।

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