एयूकेयूएस या आस्ट्रेलिया, अमेरिका व यू.के. के बीच समझौते से जुड़े कुछ अन्य तथ्य

Afeias
05 Oct 2021
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Date:05-10-21

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  • भारत ने इस साझेदारी की घोषणा के बारे में स्पष्ट कर दिया है कि वह इस घोषणा का स्वागत नहीं करता है, और न ही वह इसे भारतीय हितों से जोड़ना चाहता है।
  • वैसे भी यह एक सुरक्षा गठबंधन है, और क्वाड को मजबूत करने में इसकी कोई भूमिका नहीं होगी।
  • भारत ने इस गठबंधन को परमाणु प्रसार से जोड़ कर देखने से इंकार कर दिया है।
  • इस गठबंधन के प्रति प्रतिबद्धता न दिखाने के पीछे भारत के पास दो दृष्टिकोण हो सकते हैं। पहले में तो हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला और समावेशी रखने के लिए क्वाड के एजेंडे को मजबूत रखना जरूरी है। इस गठबंधन के प्रति सकारात्मकता दिखाने से समुद्री अभ्यास, सुरक्षा और कोविड-19 का मुकाबला करने, जलवायु परिवर्तन, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर सहयोग करने तथा लचीली निर्माण श्रृंखलाओं के निर्माण में क्वाड के प्रयासों को विस्तार मिल सकता है। गठबंधन में अमेरिका के शामिल होने को भारत के लिए उपयुक्त संदेश यह भी माना जा सकता है कि चार वर्षों के बाद अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में फिर से सक्रिय हो गया है।

दूसरा दृष्टिकोण कहता है कि क्वाड की बैठक से ठीक पहले ऑकस गठबंधन की घोषणा का अर्थ कहीं यह तो नहीं कि अमेरिका, हिंदप्रशांत क्षेत्र में कम महत्वपूर्ण मुद्दों पर क्वाड को हटाना चाह रहा है। भारत के लिए यह भी चिंता का विषय हो सकता है कि अमेरिका अपने ‘एंग्लो-मैक्सन’ ( ब्रिटेन-आयरलैण्ड के बीच हुई एक संधि ) संधि सहयोगियों के साथ सुरक्षा साझेदारी को बढ़ावा देकर, क्षेत्र के शक्ति संतुलन को गड़बड़ा रहा है। वह शायद अफगानिस्तान में नई घटनाओं के चलते हुई अशांति के बराबर तनाव भारत के पूर्व में उत्पन्न करना चाह रहा है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 24 सितंबर, 2020

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